सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कानपुर में तीन मजदूरों की मौत

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4 नवम्बर। पूरे देश में वर्षों से औपचारिक तौर पर प्रतिबंधित होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में सफाईकर्मियों की जान से खिलवाड़ कर सेप्टिक टैंक की सफाई कराई जा रही है। हाल ही में कानपुर में एक मैनहोल के जरिए एक नवनिर्मित सेप्टिक टैंक में सफाई के लिए गए एक नाबालिग समेत तीन मजदूरों की मौत हो गई। शटरिंग को अंदर से हटाने के लिए तीनों मजदूर टैंक में उतरे थे। मृतकों की पहचान 18 वर्षीय नंदू, उनके बड़े भाई मोहित (24) और उनके पड़ोसी साहिल (16) के रूप में हुई है। ये सभी कानपुर के चौबेपुर के निवासी हैं। सेप्टिक टैंक में जाते समय उनके पास कोई सुरक्षा उपकरण नहीं था। पुलिस ने कहा, कि वे घर के मालिक के खिलाफ मामला दर्ज करेंगे। मालिक फिलहाल फरार बताया जा रहा है।

इसी तरह की घटना 19 सितंबर को इसी जिले के मालवीय बिहार के बर्रा में एक निर्माणाधीन मकान में हुई, जहाँ तीन सफाई कर्मचारियों की मौत हुई थी। उस घटना में सेप्टिक टैंक में जानेवाले एक कर्मचारी की जहरीली गैस से मौत हो गई थी, और दो अन्य लोगों ने उन्हें बचाने की कोशिश में दम तोड़ दिया था। उनके पास कोई भी सुरक्षात्मक उपकरण नहीं थे। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग द्वारा एकत्र किए गए आँकड़ों के अनुसार, पिछले बीस वर्षों में देश में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 989 श्रमिकों की मौत हुई। 1993 से फरवरी 2022 तक, तमिलनाडु में सीवर सफाई के दौरान सबसे ज्यादा 218 मौतें हुईं। गुजरात में 153 मौतें हुईं, जबकि दिल्ली में 97 मौतें हुईं। यूपी में 107, हरियाणा में 84 और कर्नाटक में 86 सफाई कर्मचारियों की मौत हुई। ऐसी हर मौत का कारण सीवर में मौजूद जहरीली गैस बताई जा रही है।

भारत में हाथ से मैला ढोना गैरकानूनी है, लेकिन यह अभी भी आमतौर पर हो रहा है। इस तरह का काम खासकर अनियमित निजी क्षेत्र में हो रहा है। मजदूर जिनमें से अधिकांश वंचित तबके से आते हैं, और सामाजिक-आर्थिक रूप से हाशिए पर मौजूद समुदायों से जुड़े हैं, उन्हें अक्सर निजी ठेकेदारों द्वारा काम पर रखा जाता है। ये ठेकेदार वैज्ञानिक रूप से सीवेज टैंकों की सफाई के लिए सुरक्षा उपकरण और मशीनें उपलब्ध नहीं कराते हैं। विदित हो, कि हाथ से मैला ढोने और बिना सुरक्षा उपकरण सेप्टिक टैंक और सीवर के सफाई कराने के खिलाफ सफाई कर्मचारी आंदोलन ने लंबे समय से राष्ट्रीय स्तर पर #StopKillingUs यानी ‘हमें मारना बंद करो’ नाम से एक अभियान चलाया हुआ है, लेकिन अफसोस सरकार इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही।

(‘न्यूज क्लिक’ से साभार)


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