7 नवम्बर। झारखंड में ‘खतियान-जमीन बचाओ संघर्ष मोर्चा’ ने भूमि बैंक को रद्द करने की माँग की है। संगठन की दयामनी बारला ने मीडिया के हवाले से बताया, कि केंद्र सरकार और पिछली राज्य सरकार ने 2016 में भूमि बैंक बनाया था जिसमें 21 लाख एकड़ से अधिक सामुदायिक जमीन को भूमि बैंक में शामिल कर दिया गया। आज धड़ल्ले से राज्य में इन जमीन पर गैरकानूनी कब्जे का धंधा चल रहा है। जमीन का दस्तावेज ऑनलाइन होने के बाद रातोंरात जमीन के असली मालिक का नाम हटा कर किसी दूसरे व्यक्ति का नाम दर्ज किया जा रहा है।
बारला ने कहा, कि जमीन के खतियान जैसे मूल दस्तावेजों में भारी छेड़छाड़ हो रही है। सरकार द्वारा नित्य नये कानून लाकर आदिवासी, मूलनिवासी, किसानों के परंपरागत एवं संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करके पूंजीपतियों और कॉरपोरेट उद्योगों के हितों को पूरा करने का काम किया जा रहा है। वहीं झारखंड में आदिवासी, मूलनिवासी समुदाय के जल, जंगल, जमीन का सुरक्षा कवच सीएनटी, एसपीटी एक्ट, 5वीं अनूसूची क्षेत्र, पेसा कानून में प्रावधान, समुदाय के सभी परंपरागत अधिकारों को तकनीकी रूप से कमजोर किया जा रहा है।