9 नवम्बर। एक ओर सरकार महिला सशक्तीकरण का दम भरती है, दूसरी ओर घर से बाहर निकलने वाली महिलाओं को वह सुरक्षा देने में नाकाम है। विदित हो, कि 2018 में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें भारत को महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक मुल्क बताया गया था। 193 देशों में हुए इस सर्वे में महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, उनके साथ होने वाली यौन हिंसा, हत्या और भेदभाव जैसे कुछ पैमाने थे, जिन पर दुनिया के 193 देशों का आकलन किया गया था। भारत हर पैमाने में पीछे था। वहीं औरतों के स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति सबसे खराब थी। औरतों के साथ सेक्सुअल और नॉन सेक्सुअल वॉयलेंस में हम अव्वल थे, और भेदभाव करने में तो हमारा कोई सानी ही नहीं था। छह साल पहले भारत में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा पर एक रिपोर्ट तैयार करते हुए यूएन ने लिखा था, कि ‘‘यूं तो पूरी दुनिया में औरतें मारी जाती हैं, लेकिन भारत में सबसे ज्यादा बर्बर और क्रूर तरीके से लगातार लड़कियों को मारा जा रहा है।“
खबर है कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के अलग-अलग राज्यों के दफ्तरों में महिलाओं के साथ यौन शोषण हो रहा है। हैरानी की बात यह है, कि यौन शोषण के लाख-दो लाख नहीं बल्कि कुल 70.17 लाख मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार देशभर में काम करने वाली लगभग 50 फीसदी महिलाएं कम से कम एक बार अपने करियर लाइफ में यौन शोषण का शिकार हुई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं, जो इस अपराध का शिकार हुई हैं, लेकिन लोक-लाज के डर से वो शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पायीं।
रिपोर्ट में उन राज्यों के बारे में भी खुलासा हुआ है, जो कामकाज के लिहाज से महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित हैं। महिलाओं के लिए 10 सबसे असुरक्षित राज्य है। दफ्तर में सबसे ज्यादा यौन शोषण के मामले दिल्ली से 11.2 लाख शिकायतें सामने आई हैं। वहीं कुल 10.5 लाख शिकायतों के साथ पंजाब दूसरे नंबर पर है। जबकि गुजरात 10.4 लाख के साथ तीसरे, आंध्र प्रदेश 9.31 लाख के साथ चौथे, उत्तर प्रदेश 5.53 लाख के साथ पांचवें नंबर है, जहाँ महिलाओं ने शिकायत की है, कि उनके साथ ऑफिस में यौन शोषण हुआ है। इसके बाद झारखंड, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, बिहार और मध्य प्रदेश का नंबर आता है, जहाँ कामकाजी महिलाओं के साथ ऑफिस में सबसे ज्यादा यौन शोषण हो रहा है।
गौरलतब है कि हाल ही में जारी एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया था, कि देश की टॉप 100 कंपनियों में यौन शोषण के मामले बहुत ज्यादा हैं। इन कंपनियों से साल 2019-20 में मेटो कैंपेन के दौरान 999 शिकायतें सामने आई थीं। 2020-21 में 595 मामले रिपोर्ट हुए, जबकि 2021-22 में सर्वे तक 759 शिकायतें आईं। इन कंपनियों में यौन उत्पीड़न पर आधिकारिक रिपोर्ट पूरी सच्चाई नहीं बताती हैं। दफ्तर में जूनियर कर्मचारी अक्सर इसकी शिकार होती हैं। वो पीड़ित होने के बावजूद खामोशी अख्तियार करना बेहतर समझती हैं। कई बार तो उनकी शिकायतें भी अनसुनी कर दी जाती हैं।