‘नफरत छोड़ो, संविधान बचाओ’ अभियान की पदयात्रा अपने आखिरी पड़ाव मगहर पहुँची

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14 नवंबर। नफरत के खिलाफ और संविधान बचाने को लेकर समाजवादी समागम की ओर से निकली पदयात्रा सोमवार को अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गयी। इस पदयात्रा ने 120 किमी की यात्रा पूरी की। यह यात्रा कुशीनगर से कबीर समाधि मगहर तक के लिए निकली थी।

मगहर पहुंच कर पदयात्रियों न उनकी मज़ार और समाधि के दर्शन किए। इसके बाद वहां पर सभा हुई, जिसमें पदयात्रियों ने अपनी पदयात्रा के उद्देश्य और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और अनुभव साझा किए। सभा में मौजूद सभी लोगों ने पदयात्रियों की सराहना की, इस विकट समय में नफरत के खिलाफ बोलने और संविधान के हक में पदयात्रा करने के लिए।

पदयात्रियों ने छह दिनों में 120 किमी की यात्रा पूरी की, पदयात्रा आखरी दिन सुबह 8 बजे सहजनवा से मगहर कबीर समाधि के लिए निकली थी। पदयात्रा का हर पड़ाव और रास्ते पर लोगों द्वारा स्वागत किया गया। नफरत और संविधान को लेकर निकली इस यात्रा की लोगों ने सराहना की और इससे जुड़े। पदयात्री इस यात्रा का संदेश लोगों को बताते चलते रहे और लोगों से इस विकट घड़ी में देश बचाने के लिए निकलने का आह्वान किया।

आखिरी दिन की पदयात्रा की सभा का प्रारंभ सहजनवा तहसील में अधिवक्ताओं के बीच हुआ। इसके बाद यात्री मुरारी इंटर कॉलेज की तरफ बढ़े। मुरारी इंटर कालेज में उनका स्वागत हुआ। यात्रा का नेतृत्व कर रहे अरुण कुमार श्रीवास्तव ने छात्र-छात्राओं से संवाद कर उन्हें गांधी की पुस्तकें दीं और शिक्षकों को भी लोहिया की पुस्तकें दीं।पदयात्रा अपने संदेश के साथ लोगों के बीच पर्चा बांटते और चर्चा करती हुई आगे बढ़ती रही।

पदयात्रियों का शहर के हर चौराहे पर लोगों द्वारा स्वागत हुआ। भारत बचाओ संविधान बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अरुण कुमार श्रीवास्तव और ब्रह्मचारी जी ने इंकलाब जिंदाबाद के नारों के साथ में पूर्वांचल की सड़कों पर तिरंगा लहराते हुए समाज के सभी तबकों से एकजुट होने का आह्वान किया।

यात्रा में अरुण कुमार श्रीवास्तव, अरुण ब्रह्मचारी के अलावा एके बादल, शत्रुघ्न यादव, खुर्शीद आलम आहारवी, रमेश परिहार, संजय गुर्जर, शादाब आलम खान, सागर, सुभाष पाठक, राम किरपाल राम, त्रिलोक मिश्र, शामिल रहे। इस पदयात्रा में 75 वर्ष तक के यात्री शामिल थे, जो 120 किमी की यात्रा में आखिर तक रहे।

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