यह अमृत काल इतना भयानक क्यों है

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Ram sharan
— रामशरण —

आ‍पने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा अमृत काल में देश के प्रवेश की चर्चा कई बार सुनी होगी। क्या आप इसका रहस्य जानते हैं?

सम्मानित लोगों के सौ वर्ष जीवन की कामना की जाती है, अमरत्व के समान माना जाता है। पर भारत की आजादी के तो सिर्फ पचहत्तर साल हुए हैं। तब अमृत काल की घोषणा क्यों? हां, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सौ साल हो गए हैं। क्या यह आरएसएस के अमरत्व की घोषणा है?

ऐसा ही लगता है। आरएसएस ने देश के पूंजीपतियों से सांठगांठ करने के लिए आडवाणी जी की बलि देकर मोदी जी को प्रधानमंत्री चुना। सिंगूर और नंदीग्राम में हुए आन्दोलन के बाद भारत के उद्योगपतियों ने तय किया था कि नरेन्द्र मोदी जी को भारत का प्रधानमंत्री बनाना है। इसलिए मोदी जी हमेशा जनता के बदले पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश में रहते हैं। जब मोदी जी पहली बार प्रधानमंत्री बने उसके पहले उन्हें गुजरात के बाहर कौन जानता था? लेकिन जनता में अन्ना हजारे के आन्दोलन के कारण कांग्रेस के प्रति काफी गुस्सा था। इसका लाभ मोदी जी को मिला। ऊपर से पूंजीपतियों के मीडिया ने “हर हर मोदी; घर घर मोदी” का नारा चलाकर मोदी जी को स्थापित कर दिया।

मोदीजी ने शुरू से अपनी ताकत बढ़ाने और मनमानी करने पर ध्यान दिया। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डालकर चुप करा दिया। मंत्रिमंडल में सारे महत्त्वपूर्ण फैसले खुद लेने लगे। सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल में तो रखा, पर महत्त्व घटा दिया। सुषमा स्वराज विदेशमंत्री थी, पर उनकी चलती नहीं थी। अरुण जेटली और अन्य मंत्रियों ने भी आत्मसमर्पण कर दिया। पूंजीपतियों के दबाव में भारत पर जब नोटबंदी का आपातकाल लगा तो इसकी पूर्व जानकारी मंत्रिमंडल को भी नहीं थी। रिजर्व बैंक को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। वैसे नोटबंदी की घोषणा करने का अधिकार प्रधानमंत्री को नहीं रिजर्व बैंक को है। इसलिए नोटबंदी के दौरान अपना पैसा निकालने में जो सैकड़ों लोग शहीद हो गए उसका पाप मोदी जी को ही लगेगा।

नोटबंदी के कारण आम लोगों के घर में इमरजेंसी के लिए जो रकम रखी हुई थी वह बैंक में पहुंच गई और बैंकों से पूंजीपतियों को लाखों करोड़ का कर्ज मिल गया। इस लूट का पैसा अधिकांश पूंजीपतियों ने दुरुपयोग किया और अब लौटाने को तैयार नहीं हैं। मोदी जी के बैंकों ने करीब 10 लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया है।

सरकार ने अमीरों पर लगने वाले संपत्ति कर को खत्म कर दिया और कंपनियों पर लगने वाले टैक्स को भी काफी घटा दिया। टैक्स सिस्टम में इतनी छूट है कि बड़े उद्योगपतियों को बहुत कम टैक्स देना पड़ता है। विदेशी सामान के आयात पर भी टैक्स घटा दिया गया है। पर जीएसटी तो गरीब से गरीब लोगों पर भी लगता है। सरकार को आज मुख्य आय जीएसटी से ही हो रही है। सरकार गरीबों से पैसा वसूल कर अमीरों को मदद कर रही है। यही कारण है कि उद्योगपतियों द्वारा हजारों करोड़ रुपए भाजपा को इलेक्टोरल बांड के जरिए दिये जा रहे हैं।

मोदी जी ने इलेक्टोरल बांड का कानून ऐसा बनाया है कि किसने घूस दिया यह पता ही नहीं चलता है। संभव है कि चीनी कंपनियों से भी घूस ली जा रही हो। इसलिए चीन के अतिक्रमण के बाद से चीनी माल का आयात दस गुना बढ़ गया है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर काला धन भी भाजपा के खाते में जा रहा है।
इसलिए देश में काला धन रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं। सिर्फ विपक्षियों को परेशान किया जा रहा है।

मोदीजी के हाथों में सीबीआई, ईडी, एनआईए आदि की ताकत तो थी ही, अब अकूत धन भी आ गया है। लेकिन चुनाव जीतने के लिए भाजपा को भारी रकम खर्च करनी पड़ रही है। पांचो साल चुनाव की तैयारी चलती रहती है। मतदाता सूची के हर पन्ने के लिए जिम्मेदार कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करनी पड़ती है। मीडिया में विज्ञापन पर लाखों करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। हवाई जहाज से घूमने और उत्सव आदि पर भी खर्च लगता है। इसके बाद भी जनता पर नियंत्रण की गारंटी नहीं है। यदि जनता ने साथ नहीं दिया तो सरकार बनाना कठिन हो जाता है। तब सीबीआई आदि से धमकाकर या करोड़ों रुपए खर्च कर विधायकों को खरीदना पड़ता है। यदि चुनाव ही खत्म हो जाए तो भाजपा को कितनी राहत मिलेगी ?

चुनाव खत्म हो जाए तो सबसे ज्यादा खुशी आरएसएस को होगी। वैसे भी मोदी जी के आने के बाद राम मंदिर बन गया। कश्मीर में धारा 370 समाप्त हो गयी। कई राज्यों में समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास चल रहा है। गौहत्या आदि के नाम पर मुसलमानों और दलितों को कुचला जा रहा है। यही नहीं आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों को भारी आर्थिक सहायता मिल रही है। लोग साइकिल के बदले बड़ी बड़ी मोटरों में घूमने लगे हैं। सिर्फ उनसे जुड़े हुए सामाजिक संगठनों को ही आर्थिक सहायता लेने की छूट है। शाखाएं और विद्यालय तेजी से बढ़ रहे हैं। खुलेआम मुसलमानों का नरसंहार करने की धमकी देने पर भी कार्रवाई नहीं होती है। मोदी जी के आने से जो मिला है उसकी आरएसएस ने उम्मीद भी नहीं की होगी।

भले ही स्वदेशी जागरण मंच का स्वावलंबन का सपना कुचला जा रहा हो, भले ही भाजपा का मजदूर संघ मुंह छिपाते घूम रहा हो, आरएसएस मोदीजी के साथ है!

लेकिन एक कसक बाकी है। आरएसएस को बने सौ साल हो गये, भारत अभी तक हिन्दू राष्ट्र नहीं बना है। यही मौका है कि नरेन्द्र मोदी जी भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दें और बाबासाहेब डा भीमराव आम्बेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान को रद्द कर मनुस्मृति को लागू कर दिया जाए। इन लोगों ने तो आजादी के वक्त ही संविधान बनाने का विरोध किया था, क्योंकि हमारा संविधान सबको बराबरी का हक देता है। दलितों व आदिवासियों को भी, महिलाओं को भी और मुसलमानों, ईसाइयों को भी। यह इन मनुवादियों को स्वीकार नहीं है। उनकी राय में देश पर शासन करने का अधिकार मुट्ठी भर सवर्णों को ही है। इसलिए ये हर नागरिक को वोट का अधिकार देने को तैयार नहीं हैं। भारत की परंपरा इलेक्शन नहीं सेलेक्शन की रही है। परिवारों में भी पिता तय करते थे कि गद्दी पर कौन बैठेगा। यह परंपरा मुसलमानों में भी रही है। हालांकि इस राय से अब बहुत से सवर्ण भी सहमत नहीं हैं। सब जानते हैं कि इसमें अन्य भाइयों के साथ अन्याय होता है। लेकिन आरएसएस को लगता है कि सौ साल के संघर्ष के बाद अमरत्व पाने का यही मौका है।

यदि भाजपा 2024 में आम चुनाव जीत कर सरकार बना लेती है तो वह भारत के संविधान को रद्द घोषित कर मनुस्मृति को लागू कर सकती है। यदि उसे संविधान बदलने लायक बहुमत नहीं मिला तो भी वह एजेंसियों और पैसे के बल पर पूर्ण बहुमत जुटा ले सकती है।

यह भी संभव है कि संविधान को तुरंत रद्द नहीं करके उसमें धीरे धीरे इतना संशोधन कर दिया जाए कि वह मनुस्मृति जैसा बन जाए। इसमें दस बीस साल भी लग सकता है। इसलिए मोदी जी ने अगले 25 सालों को अमृत काल घोषित किया है। यह अमृत काल वास्तव में शोषितों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए काल ही साबित होगा।

इसलिए “लोकतांत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान” ने 26 नवंबर संविधान दिवस पर जगह जगह सम्मेलन आयोजित करने या अन्य आयोजन करने की अपील की है। जहां संभव नहीं हो वहां 6 दिसंबर, आंबेडकर जी के निर्वाण दिवस तक भी आयोजित किया जा सकता है।


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