7 दिसंबर। झारखंड राज्य के दिव्यांगजन अपनी 21 माँगों को लेकर बुधवार को राजधानी रांची की सड़कों पर उतरे। वे मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए राजभवन से निकले, तभी पुलिस से नोकझोंक हुई। काफी देर तक मौके पर कोतवाली थाना प्रभारी ने उन्हें समझाने-बुझाने की कोशिश की, लेकिन उसके बावजूद राजभवन से कचहरी की तरफ जाने वाली सड़क को जाम कर दिया। घंटों की जाम से लोगों को खासी परेशानी हुई। सभी दिव्यांगों का एक ही नारा था कि नौकरी में आरक्षण दिया जाए, ताकि वे अपना जीवन यापन कर सकें। धरने में मौजूद दिव्यांग पुरुष और महिला खिलाड़ियों ने आरोप लगाया, कि हम बड़े-बड़े मैदानों में खेल कर राज्य और देश के लिए मेडल लाते हैं, किंतु हम सभी हर प्रकार की सुविधा से वंचित हैं, वहीं अन्य राज्यों में कई सारी सुविधाएं मिलती हैं। हम सभी विगत 12 दिनों से धरने पर बैठे हैं, लेकिन हमारी माँग नहीं सुनी जा रही है। आर्थिक स्थिति काफी कमजोर होने से हमें अपने परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है।
इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रदेश अध्यक्ष मुकेश कंचन ने मीडिया के हवाले से बताया, कि इस धरने के माध्यम से मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हुए कहा गया, कि हमारी 21 सूत्री माँगों को यथाशीघ्र पूरा किया जाए। नहीं तो पूरे राज्य में हम दिव्यांग आंदोलन करने को बाध्य होंगे। उन्होंने कहा, कि हमारी माँगें दिव्यांग पेंशन की राशि ढाई हजार करने, राज्य में रिक्त नि:शक्तता आयुक्त के पद को भरने, आरपीडब्लूडी की धारा 33 व 34 के तहत रिक्त पदों पर दिव्यांगों को बहाल करने, राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे सभी कार्यों में दिव्यांगों को पाँच प्रतिशत आरक्षण देने, राज्य में दिव्यांग सलाहकार समिति एवं बोर्ड का गठन करने सहित 21 सूत्री माँगें हैं। घंटों पुलिस की ओर से समझाने के बाद मुख्यमंत्री से वार्ता कराने पर सभी आंदोलनकारी वापस धरना स्थल पर लौट गए।
(Lagatar.in से साभार)
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