सरकार की वादाखिलाफी पर किसान संगठनों ने जताई नाराजगी

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संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय बैठक करनाल

9 दिसंबर। संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक 8 दिसंबर को हरियाणा में करनाल के गुरुद्वारा डेरा कार सेवा में संपन्न हुई। किसान नेता सत्यवान, किशोर धमाले, सुरेश कौथ ने संयुक्त रूप से इसकी अध्यक्षता की।

बैठक में अधिकतम एकता और जोरदार संघर्ष के संकल्प के साथ संयुक्त किसान मोर्चा को सशक्त व व्यापक बनाने पर सभी ने बल दिया।

बैठक में देशभर से आये किसान नेताओं में हनान मौला, शंकर घोष, आशीष मित्तल, आर. वैंकेया, रूलदू सिंह मानसा, प्रेम सिंह गहलावत, बूटा सिंह बुर्जगिल, जोगिंदर सिंह, दर्शन पाल, अविक शाहा, सतनाम सिंह अजनाला, बलदेव सिंह निहालगढ़, रामिन्द्र सिंह पटियाला, किरणजीत सिंह सेखों, हरदेव सिंह संधू, गौरव टिकैत, हरजीत सिंह, रतनमान, विरेंद्र सिंह डागर, इंद्रजीत सिंह, हरजीत सिंह, जयकरण मांडोठी, जोगिंदर सिंह नैन, तेजराम विद्रोही, लक्खा सिंह, फूलचंद ढ़ेवा, युवराज गटकल तेजवीर सिंह पंजोखरा, गुरनाम सिंह भीखी आदि ने अपने विचार रखे।

पिछले आन्दोलनों की समीक्षा में नेताओं ने बताया कि 26 नवंबर को संपन्न हुआ “राजभवन चलो” कार्यक्रम मोहाली, पंचकूला, लखनऊ, पटना, कोलकाता, भोपाल, जयपुर और देश की राजधानी दिल्ली समेत देशभर में सफल रहा।कुछ राज्य सरकारों द्वारा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने की कड़ी निंदा की गई।

सरकार के किसान विरोधी रवैए पर सभी नेताओं ने भारी रोष प्रकट किया। घर वापसी से पहले एमएसपी गारंटी कानून बनाने समेत किये गये वादे उसने नहीं निभाये। उलटे, बिजली क्षेत्र को प्राइवेट कम्पनियों के हाथों में सुपर्द करने के बुरे इरादे से उसने बिजली बिल 2022 को लोकसभा में पेश कर दिया है और किसानों पर तरह तरह के हमले किये जा रहे हैं।

सभी नेताओं ने महसूस किया कि 26 जनवरी, 2021 को सरकार ने जिस तरह से किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची थी और किसानों को जाति, धर्म, इलाका, भाषा के नाम पर बांटने की जो साजिश रची थी, वह अभी भी जारी है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे हर कीमत पर विफल करने का संकल्प दोहराया।

साथ ही, कहा कि आगामी 26 जनवरी को देश भर में बड़े स्तर पर जन-गण एकता कार्यक्रम लेने के अलावा आगामी बजट सत्र पर बकाया मांगों को संसद पर जोरदार ढंग से बुलंद किया जाएगा।

व्यापक विचार विमर्श के माध्यम से इनकी घोषणा 24 दिसंबर को करनाल में पुनः होने जा रही अगली बैठक में की जाएगी।

एसकेएम ने भारतीय कृषि में जीएम बीजों को शामिल करने का कड़ा विरोध किया।

अगर इसे वापस नहीं लिया गया, तो पूरी कृषि देश-विदेश के कृषि दिग्गजों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों में चली जाएगी।

लखीमपुर खीरी में किसानों पर जुल्म ढहाने के दोषियों पर अदालत द्वारा आरोप तय किये जाने पर कहा कि इससे हत्यारों को दण्डित करने की आस बंधी है।

साथ ही कहा कि झूठे केसों में फंसाए गये किसानों को तुरंत प्रभाव से मुक्त किया जाए।

भूमि अधिग्रहण व अन्य मुद्दों पर देशभर में चल रहे किसान संघर्षों के लिए समर्थन घोषित किया गया।

गन्ना किसानों को लाभकारी दाम और बकाया रकम तुरंत प्रभाव से अदा करने की मांग की गई।

‘लड़ेंगे – जीतेंगे’ के संकल्प के साथ बैठक सम्पन्न हुई।

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