
— उपेन्द्र शंकर —
महासागर, पृथ्वी की सतह का 70 फीसद कवर करते हैं। हमें सांस लेने वाली आधी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करते हैं। अधिकांश मानव इतिहास के लिए गहरे महासागरों (200 मीटर से अधिक गहरा समुद्री जल से आच्छादित क्षेत्र) को एक वैश्विक साझा के रूप में देखा जाता रहा है। जिसके लाभ और संसाधन समान रूप से हम सभी के माने जाते रहे। लेकिन हमारे यह गहरे समुद्र–और समग्र रूप से समुद्री पर्यावरण– कॉरपोरेट-लाभ के लिए दोहन-शोषण से तबाह किए जाने की तैयारी की जा रही है। परिणाम एक सामाजिक, आर्थिक और परिस्थितिक संकट हो सकता है, जो पृथ्वी की जीवन समर्थन प्रणाली को ही खतरे में डाल सकता है।
“ब्लू कॉमन्स” को प्रभावित करने वाले कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है। इनमें सबसिडी वाले औद्योगिक मत्स्य पालन द्वारा मछली की आबादी में कमी लाना; तेल के लिए काम करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा समुद्र तल और महत्त्वपूर्ण प्रवाल भित्तियों के विनाश पर ध्यान देना; वाणिज्यिक जलीय कृषि का लापरवाह प्रसार रोकना और अब एक नए उद्योग, गहरे समुद्र में खनन पर बातचीत और कार्रवाई, जिसे कि अंतरराष्ट्रीय सीबेड प्राधिकरण (आईएसए) द्वारा 2023 में शुरू करने के लिए हरी बत्ती दी जा सकती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और बैटरी में इस्तेमाल होने वाले मूल्यवान खनिजों के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां गहरे समुद्र तल से खनन करने पर जोर दे रही हैं। बड़े पैमाने पर गहरे समुद्र में खनन, जिसमें पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स का निष्कर्षण शामिल है–कोबाल्ट, निकल, तांबा और मैंगजीन युक्त लाखों वर्षों से बनी छोटी चट्टानें–के लिए अगले साल यानी 2023 जुलाई तक अनुमति दी जा सकती है।
अभी तक, प्रशांत महाद्वीप राष्ट्र नौरू ने (जून 2021) अपने क्षेत्र में गहरे समुद्र में खनन की अनुमति देने की अनुशंसा संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था, इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (आईएसए) से की है। नौरू प्रशासन ने बताया कि कनाडा के स्वामित्व वाली “द मेटल्स कंपनी” की सहायक कंपनी ने सीबेड खनन के लिए आवेदन किया है। लेकिन यूके, बेल्जियम, जमैका, रूस, चीन और जापान जैसे देशों की निगाह भी कोयले के आकार के पिंडों के अंदर मौजूद धातुओं पर है, जो प्रशांत महासागर में 5000 मीटर पानी के भीतर विशाल मैदान में बिखरे हुए हैं।
गहरे समुद्र में की जाने वाली गतिविधियों से उत्पन्न होने वाले हानिकारक प्रभावों से समुद्री पर्यावरण की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिकृत, इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (आईएसए), वर्तमान में ऐसे नियमों का मसौदा तैयार कर रही है जिनका उपयोग सीबेड खनन उद्योग द्वारा किया जा सकता, मसौदा तैयार करने की समय सीमा मार्च 2023 तक ही है।
31 अक्टूबर 2022 से 11 नवंबर 2022 तक व गहरे समुद्र में खनन उद्योग के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रतिरोध के बीच इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (आईएसए) ने परिषद की 27वीं बैठक संपन्न की। बैठक गहरे समुद्र में खनन के लिए ‘खनन कोड’ बनाने पर केंद्रित थी, जिसे अगर अपनाया जाता है, तो देशों को जुलाई 2023 की शुरुआत में खनन अनुबंधों के लिए आवेदन करने की अनुमति मिल जाएगी, लेकिन बैठक के दौरान फ्रांस, न्यूजीलैंड, जर्मनी और पनामा पलाऊ, फिजी, समोआ, माइक्रोनेशिया, चिली, कोस्टा रिका, स्पेन और इक्वाडोर जैसे देश विरोध में आ गए। फिर भी आशंका है कि यह विनाशकारी उद्योग अगले साल शुरू हो सकता है क्योंकि यूके और नॉर्वे जैसे देशों के समर्थन के साथ ही आईएसए के महासचिव माइकल लॉज सार्वजनिक रूप से गहरे समुद्र में खनन का समर्थन करते हैं और पर्यावरणीय प्रभावों पर चिंता व्यक्त करने वाले वैज्ञानिकों की उन्होंने आलोचना की है।
खनन कंपनियां–चालाक ग्रीनवाशिंग अभियानों के माध्यम से–तर्क देती हैं कि नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गहरे समुद्र में खनन आवश्यक है। नोड्यूल्स से निकाली गई धातुएं सौर पैनल, पवन टर्बाइन और बैटरी के प्रमुख घटक हैं।

गहरा समुद्र पृथ्वी की जैव विविधता के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, जिसकी अधिकांश प्रजातियों की खोज अभी बाकी है। गहरे समुद्र में जीवों की समृदधि और विविधता पृथ्वी की प्राकृतिक प्रणालियों के कार्य करने के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र प्रक्रियाओं का समर्थन करती है। गहरे महासागर जीवमंडल के 90% से अधिक का गठन करते हैं, और जलवायु नियमन, मत्स्य उत्पादन और मौलिक जलीय चक्रण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्ही तथ्यों को देखते हुए 44 देशों के समुद्री विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने एक बयान जारी कर गहरे समुद्र खनन का विरोध किया है और लोगों से इसके विरोध में एकजुट होने का आह्वान भी किया है।
(संदर्भ- ग्रीन लेफ्ट वीकली, ओपन डेमोक्रेसी, डीप सी कंजर्वेशन कोएलिशन, न्यू साइंटिस्ट, फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस)