2023 में जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ेंगे मानवीय संकट – आईआरसी रिपोर्ट

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17 दिसंबर। पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग संकट बनता जा रहा है। इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। बाढ़, सूखा, बिजली गिरने से साल दर साल मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसलिए पूरी दूनिया इससे चिंतित है। यही वजह है कि ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इस बीच अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी(आईआरसी) ने चेतावनी देकर कहा है, कि साल 2023 में जलवायु परिवर्तन के कारण मानवीय संकट बढ़ सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 ने दुनिया भर में मानवीय संकटों को बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन की भूमिका का ऐसा प्रमाण दिया, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता है। रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बारिश में असामान्य वृद्धि और सोमालिया व इथियोपिया में विनाशकारी खाद्य असुरक्षा की स्थिति का उल्लेख किया गया है, जबकि पाकिस्तान में भीषण बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या पर भी चर्चा की गई है। आईआरसी के मुताबिक वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन और संरक्षण के क्षेत्र में और अधिक निवेश की आवश्यकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद गैस और तेल की कीमतों में हुई वृद्धि और सप्लाई चेन में जारी बाधाओं के चलते कई देशों ने इस साल सस्ता कोयला खरीदने को तरजीह दी है। हीट वेव और सूखे जैसी आपदाओं के कारण भी कई देशों में बिजली की कीमतें आसमान पर पहुँचने से उसके उत्पादन के लिए कोयले को बढ़ावा मिला। यूरोप के कई देशों में परमाणु बिजलीघरों को बंद करना पड़ा, जिसके कारण भी कोयला ज्यादा प्रयोग हुआ। अपनी सालाना रिपोर्ट में IEA ने कहा, कि इस साल कोयले का प्रयोग आठ अरब टन को पार कर जाएगा, जो पिछले साल से 1.2 फीसदी ज्यादा है और 2013 के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है। इस रिपोर्ट में यह भी अनुमान जाहिर किया गया है कि 2025 तक कोयले का उपभोग लगभग इसी स्तर पर बना रहेगा, क्योंकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ऊर्जा की माँग बढ़ रही है। यानी कोयला आने वाले कई साल तक कार्बन उत्सर्जन का सबसे मुख्य स्रोत बना रहेगा। कोयले की माँग में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी भारत में होने की संभावना है। यहाँ माँग में 7 फीसदी तक की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया गया है। उसके बाद यूरोपीय संघ का नंबर है, जहाँ माँग में 6 प्रतिशत की वृद्धि होगी। चीन में 0.4 फीसदी वृद्धि का अनुमान है।

IEA में ऊर्जा बाजार और सुरक्षा विभाग के निदेशक केसुके सादामोरी ने मीडिया के हवाले से बताया, कि दुनिया जीवाश्म ईंधनों के उपभोग के चरम पर पहुँचने वाली है। उसके बाद सबसे पहले कोयले के उपभोग में कमी से शुरुआत होगी। लेकिन हम अभी वहाँ नहीं पहुँचे हैं। रिपोर्ट में यह संभावना भी जताई गई है, कि कोयले से बिजली उत्पादन का स्तर इस साल वैश्विक स्तर पर बढ़कर 10.3 टेरावॉट घंटों का नया रिकॉर्ड बना सकता है।

(MN News से साभार)

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