18 दिसंबर। दिल्ली यूनिवर्सिटी की दलित छात्राओं ने आरोप लगाया है कि हॉस्टल आवंटन में वार्डन और हॉस्टल प्रशासन द्वारा भेदभाव और मनमानी की जा रही है। छात्राओं का कहना है कि मेरिट लिस्ट जारी होने के दो हफ्ते बाद भी आंबेडकर गांगुली हॉस्टल(AGSHW) में उन्हें रूम आवंटन नहीं किया गया है, और अतिथि प्रवेश के नाम पर प्रोवोस्ट/वार्डन की मर्जी और पक्षपाती निर्णय के आधार पर छात्रावास में सभी सीटें भरी जाती हैं। छात्राओं का कहना है, कि हॉस्टल में नए दाखिले के लिए कोई सीट नहीं बची जबकि अभी आधिकारिक तौर पर प्रवेश शुरू भी नहीं हुआ है, और हॉस्टल प्रबधन का कहना है कि सभी सीटें भर गई हैं।
छात्राओं ने आरोप लगाया है, कि AGSHW छात्रावास में काम करने वाले कर्मचारियों को इस आधार पर महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है, कि वहाँ कोई स्टूडेंट एडमिशन के लिए नहीं आ रही हैं और जब स्टूडेंट वहाँ एडमिशन के लिए आ रही हैं, तो उन्हें कहा जा रहा है कि यहाँ जगह नहीं है। ऐसे में यह बहुत बेतुकी बात साबित होती है। छात्राओं द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार आंबेडकर गांगुली स्टूडेंट्स हाउस फॉर वूमेन की वार्डन का कहना है, “कि पहला साल या दूसरा साल कुछ नहीं होता, हमें बस सीटें भरनी हैं, और यह मैं किसी को बताना जरूरी नहीं समझती कि एडमिशन कैसे करुँगी?”
वॉर्डन के इस बयान से छात्राओं में एडमिशन को लेकर चिंता बढ़ गयी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हॉस्टल वॉर्डन ने कहा कि हॉस्टल में आवंटन की प्रकिया शुरू कर दी गई है। हर छात्रावास के काम करने का एक प्रोसेस होता है। छात्राओं का कहना है, कि कॉलेज में दाखिले को करीब 2 हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन अभी तक छात्रावास में सरकारी तौर पर दाखिले शुरू नहीं हुए हैं। वहीं छात्राओं ने हैरानी जताते हुए सवाल किया है कि दलित छात्राओं के लिए बाबासाहेब आम्बेडकर के नाम पर बने एक महिला छात्रावास में अधिकारी दलित छात्राओं को प्रवेश देने से इनकार कर इस हॉस्टल के बनाये जाने के उद्देश्य को विफल करते हैं।
(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)