22 दिसंबर। पूर्वी उत्तर प्रदेश में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों की खिरियां की बाग (आजमगढ़) में हुई बैठक में आजमगढ़ एयरपोर्ट विस्तार के खिलाफ चल रहे जमीन मकान बचाओ आंदोलन को मजबूत बनाने का आह्वान किया गया। के संदर्भ में। बैठक में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिसमें जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मजदूर केंद्र, मोर्चा, किसान संग्राम समिति, जनवादी किसान सभा, किसान-मजदूर मंच, ग्रामीण मजदूर यूनियन, इंकलाबी भारतीय किसान यूनियन(अरा.), जनमुक्ति मोर्चा, मजदूर-किसान एकता मंच, किसान-मजदूर परिषद, खेत मजदूर किसान संग्राम समिति, संयुक्त किसान खेत मजदूर संगठन, उ.प्र.बुनकर वाहिनी, कृषिभूमि बचाओ संघर्ष मोर्चा, जय किसान आंदोलन, अ.भा.प्रगतिशील छात्र मंच, पंचायत प्रतिनिधि महासंघ शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सत्यदेव पाल, अफलातून व बचाऊ राम ने की।कार्यक्रम में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित हुए-
1.आजमगढ़,एयर पोर्ट विस्तारिकरण का मास्टरप्लान वापस कराने के लिए समस्त जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उड्डयन मंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया जाय।
2. किसानों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए, विशेष रूप से सभी किसानों के लिए एमएसपी (C2+50%) के कानूनी अधिकार में कृषि लागत खर्च (C2)के अनुमान में किसान और उसके परिवार के श्रम को साधारण श्रम के रूप में देखा जाता है। जबकि हम सब यह जानते हैं कि किसान और उसके परिवार का श्रम साधारण श्रम नहीं होता, बल्कि कुशल श्रम होता है; वह उसके ज्ञान के ऊपर आधारित होता है। इसलिए यह जरूरी है कि एमएसपी तय करते वक्त किसान और उसके परिवार के श्रम को कुशल श्रम का मूल्य दिया जाय। किसान को अपनी किसानी का ज्ञान हासिल करने में सालों तक खेती-किसानी में कठिन प्रशिक्षण व परिश्रम से गुजरना पड़ता है। किसान के श्रम को एमएसपी की गणना में कुशल श्रम का मूल्य अवश्य दिलवाएं। इससे किसान की आय तो बढ़ेगी ही, उसके ज्ञान को मान्यता दिलवाने से किसान का इस देश को चलाने यानी संगठित और संचालित करने और सबके लिए न्यायोचित नीतियां बनाने का दावा भी पुख्ता होगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने बेहद प्रभावी ढंग से किसान संसद चलाकर यह दावा पेश कर दिया है।
3. सरकार द्वारा कृषि लागत में कम्पनियों के खाद, बीज, कृषि औजार, मशीनों के मूल्य को भी न्यूनतम करना चाहिए।
4. देश भूख सूचकांक में लगातार पीछे जा रहा है, कुपोषण के मामले में भी ऐसा ही हाल है। ऐसे में गरीब-भूमिहीन किसानों,मजदूरों के लिए *’संतुलित आहार गारंटी कानून’* की मांग को भी मजबूती से उठाने का प्रस्ताव लिया गया ।
5. इस मांग पर भी सहमति बनी कि सरकार को बटाईदार किसानों का पंजीकरण करते हुए उन्हें बटाईदारी का प्रमाणपत्र देना चाहिए। इन किसानों को भी मिलने वाली सभी सुविधाओं- बाढ़/सूखा राहत, सस्ती खाद-बीज-कीटनाशक, किसान सम्मान राशि व ग्रीन कार्ड की गारंटी हो।
6. सरकार घरेलू बिजली कनेक्शन की 300 यूनिट बिजली मुफ्त दे।
7. सरकार द्वारा 11अक्टूबर 2020 को घरौनी के प्रमाणपत्र जारी करने की घोषणा को अमल में लाया जाय।
चर्चा में विश्व व्यापार संगठन (W.T.O.) के कारपोरेटपरस्त समझौतों से देश को बाहर निकालकर आत्मनिर्भर भारत की बात, कृषि भूमि सुधार, लैंड सीलिंग को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता व गन्ना किसानों की बकाया राशि वापस की मांग को भी जोड़ते हुए आन्दोलन को गति देने की मांग की गयी।