मोरारजी देसाई, चंद्रशेखर, बाबू जगजीवन राम आरएसएस से संबंध विच्छेद करने को तैयार नहीं थे। – भाग- 11

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मधु लिमये ने राजनारायण जी से पूछा, क्या आप संजय गांधी से मिलकर चौधरी चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का प्रयास कर रहे हैं?


— प्रोफेसर राजकुमार जैन —

राजनारायण जी ने जनता पार्टी को छोड़कर, “जनता पार्टी (सैक्यूलर )” बना ली थी, मधु दंडवते, सुरेंद्र मोहन ग्रुप मोरारजी देसाई के साथ खड़े थे। परंतु मधु लिमये इन दोनों रणनीतियों से अलग प्रयास कर रहे थे। उनका एक लक्ष्य आरएसएस के प्रभाव से जनता पार्टी को मुक्त कराने का था। मोरारजी देसाई ,चंदशेखर, बाबू जगजीवन राम आरएसएस से संबंध विच्छेद करने को तैयार नहीं थे। इधर राजनारायण जी, चौधरी चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस के समर्थन का प्रयास कर रहे थे। बाहर अफवाह उड़ रही थी कि राजनारायण जी तथा संजय गांधी में गुप्त वार्ता हो रही है।

18 जुलाई को मधु लिमये तथा राजनारायण जी में बातचीत हुई।

मधु लिमये ने राजनारायण जी से कहा कि ऐसा सुनने में आ रहा है कि आप संजय गांधी से मिलकर कांग्रेस (आई) का समर्थन लेकर नई सरकार बनवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। राजनारायण : इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। मैं देवराज अर्स के संपर्क में जरूर हूं ।

मधु लिमये : आपके कहने का अर्थ है कि आप संजय गांधी से नहीं मिले। राजनारायण : मैं उनसे संजय गांधी से मिला हूं। उसने मुझे दो बार बुलवाया मुझे उसके पास जाना पड़ा, परंतु मैंने उससे राजनीति पर कोई चर्चा नहीं की। मधु लिमये : मैंने जुलाई 1978 से आपका समर्थन किया है मैं स्पष्ट रूप से जानना चाहता हूं कि आप कुछ सिद्धांतों के लिए लड़ रहे हैं या आप केवल देसाई से बदला लेने के लिए।

राजनारायण : मेरा मोरारजी देसाई से कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है, उनको प्रधानमंत्री बनाने का जिम्मेदार मैं ही हूं मैं केवल दोहरी सदस्यता वाले सवाल पर लड़ रहा हूं।

मधु लिमये : मैं 16 जुलाई को मोरारजी देसाई से मिलने गया था तथा मैं पुनः उनसे मिलूंगा मैं उनसे कहूंगा कि या तो वे वैकल्पिक सरकार अपने नेतृत्व में या अन्य गैर-आरएसएस सरकार बनाएं हम सब वापस आ जाएंगे, क्या आप मेरे सुझाव से सहमत हैं? राजनारायण : हां, अगर दोहरी सदस्यता का सवाल हल हो जाय तो यही सही होगा परंतु चंद्रशेखर राष्ट्रीय समिति का पुनर्गठन करें तथा आरएसएस के स्वयंसेवकों को बाहर रखें।

मधु लिमये : यह बिल्कुल ठीक है। उसके बाद कर्पूरी ठाकुर, मृणाल गोरे तथा मधु लिमये ने चंद्रशेखर से मिलकर इस प्रस्ताव पर कार्य करने को कहा परंतु ना तो मोरारजी देसाई पद छोड़ने को तैयार थे और ना ही चंद्रशेखर इस दिशा में आगे बढ़ना चाहते थे।

लोकसभा में विपक्ष के नेता वाई बी चव्हाण ने मोरारजी देसाई सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का एक नोटिस प्रस्तुत कर दिया। अविश्वास प्रस्ताव पर वोट होने से पहले, हर तरफ से निराश होकर 16 जुलाई को मोरारजी देसाई ने जनता पार्टी संसदीय दल के नेता पद से इस्तीफा दे दिया तथा जनता पार्टी ने बाबू जगजीवन राम को अपना नेता मनोनीत कर लिया। जनसंघ भी इसमें शामिल था।

राजनारायण-मधु लिमये के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विरोधी अभियान के कारण कांग्रेस(अर्स), वामपक्ष की तमाम पार्टियां, अकाली, डीएमके वगैरह सब जनता पार्टी के विरोधी हो गए बाकी बची-खुची जनता पार्टी, आरएसएस की बंधक बन कर रह गई। 95 लोकसभा सदस्यों ने जनता पार्टी छोड़ दी।

राष्ट्रपति रेड्डी ने विपक्ष के नेता वाईबी चव्हाण को सरकार बनाने का निमंत्रण दे दिया, परंतु उन्होंने अपनी असमर्थता जाहिर कर दी।

वाईबी चव्हाण की पार्टी के लोकसभा में 75 सदस्य थे उन्होंने चौधरी चरण सिंह के समर्थन में 23 जुलाई को खत लिख कर कहा :

प्रिय चौधरी साहब,
मैं कांग्रेस पार्टी द्वारा लिये गए निर्णय से आपको अवगत करा रहा हूं। कांग्रेस कार्यकारिणी ने वाईबी चव्हाण द्वारा सरकार बनाने में असमर्थता व्यक्त किए जाने तथा वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर कांग्रेस तथा जनता (सैक्यूलर) के संयुक्त गठबंधन के समर्थन में चौधरी चरण सिंह को गठबंधन के नेता के रूप में मान्यता दी है।

चौधरी चरणसिंह ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। उसी दिन 24 जुलाई 1979 को इंदिरा कांग्रेस के नेता ने चौधरी चरण सिंह को खत लिखकर सूचित किया।

प्रिय चौधरी साहब,
मैंने राष्ट्रपति जी को एक खत लिखा है। आपकी जानकारी के लिए प्रतिलिपि भेज रहा हूं।
सी. एम. स्टीफन

प्रिय राष्ट्रपति जी,
मुझे आपको सूचना देनी है कि जनता पार्टी (सैक्यूलर) के चेयरमैन ने हमारी पार्टी से संसद में समर्थन करने का निवेदन किया है। हमारी पार्टी ने संसद में चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाने का निर्णय लिया है।
– सीएम स्टीफन

उसके बाद चौधरी चरणसिंह ने इंदिरा जी को उसी दिन खत लिख कर कहा –
प्रिय इंदिरा जी
श्री कमलापति त्रिपाठी तथा सीएम स्टीफन मुझे दिन में मिले तथा उन्होंने बिना शर्त मुझे सरकार बनाने का आश्वासन दिया। मैं तहेदिल से आपकी पार्टी के इस कदम की प्रशंसा करता हूं।

राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने चौधरी चरण सिंह को नई सरकार बनाने का निमंत्रण दे दिया तथा आदेश दिया कि 1 महीने के अंदर सदन में अपना बहुमत सिद्ध करें। चौधरी चरणसिंह ने टेलीविजन कैमरे के सामने कबूल किया कि मेरी जीवन भर की तमन्ना पूरी हो गई। जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख ने 29 सितंबर ‘-30 सितंबर तथा 3 अक्टूबर के टेप किए गए साक्षात्कार में कहा –

“शुरू से ही कर्पूरी ठाकुर, चौधरी चरणसिंह मधु लिमये, राजनारायण के साथ मिलकर षड्यंत्र कर रहे थे। चौधरी चरण सिंह का एकमात्र लक्ष्य भारत का प्रधानमंत्री बनना था उन्होंने कई बार मुझसे कहा कि मुझे प्रधानमंत्री बनाओ। यह उनके जीवनपर्यंत की अभिलाषा थी।” मधु लिमये और राजनारायण हमेशा चरणसिंह से कहते थे कि अगर आप जनसंघ पर हमला करेंगे तभी आप प्रधानमंत्री बन सकते हो। मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल होने के बाद चौधरी चरण सिंह ने यही खेल शुरू कर दिया उन्होंने इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश में हम पर वार करके की।”

राजनारायण जी इस सरकार में मंत्री नहीं बने। राजनारायण जी ने मोरारजी देसाई को हटवाकर चौधरी चरण सिंह को ताज पहनवा दिया।

(जारी है)

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