आठ साल में 13000 करोड़ रु. खर्च; फिर भी गंगा मैली की मैली

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2 जनवरी। विगत आठ वर्षों में गंगा की साफ-सफाई पर हर दिन लगभग 4.5 करोड़ रुपए खर्च किये जा रहे हैं। बावजूद इसके गंगा आज भी मैली की मैली है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत अभी तक 13 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है। इसमें उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक धनराशि आवंटित हुई है। विदित हो, कि राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक तीन साल बाद आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता पीएम मोदी ने की। राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता मिशन(NMGC) 2014 से अब तक हुए खर्च का ब्यौरा प्रस्तुत किया। इसके साथ बैठक में पिछले आठ वर्षों में गंगा की स्वच्छता की प्रगति और इस पर आए खर्च व आगे की प्लानिंग पर चर्चा की गई।

जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2014-15 से 31 अक्टूबर 2022 तक NMCG को कुल 13,709.72 करोड़ रुपये जारी किए हैं। उस राशि का अधिकांश 13,046.81 करोड़ रुपये NMCG द्वारा खर्च किया गया। इसमें से 4,205.41 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश को जारी किए गए, जो राज्यों में सबसे अधिक है। इसके बाद बिहार को 3,516.63 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल को 1,320.39 करोड़ रुपये, दिल्ली 1,253.86 करोड़ रुपये और उत्तराखंड 1,117.34 करोड़ रुपये जारी किया गया। इसके साथ ही नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत धन प्राप्त करने वाले अन्य राज्यों में झारखंड(250 करोड़ रुपये), हरियाणा(89.61 करोड़ रुपये), राजस्थान(71.25 करोड़ रुपय), हिमाचल प्रदेश(3.75 करोड़ रुपये) और मध्य प्रदेश(9.89 करोड़ रुपये) शामिल हैं।

गौरतलब है, कि केंद्र ने जून 2014 में 20,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया था। इसके साथ सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों का कायाकल्प करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक की अवधि के लिए 2014-15 में नमामि गंगे की शुरुआत की थी। बाद में कार्यक्रम को बाद में 31 मार्च, 2026 तक और 5 वर्षों के लिए बढ़ाया गया था।


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