जम्मू कश्मीर के मराठा में झुग्गियों में रहनेवाले बच्चों को शिक्षित करने की अनूठी पहल

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17 जनवरी। जम्मू कश्मीर के मराठा मोहल्ला में भीख माँगने वाले, सड़कों पर भटकते, आसानी से नशीली दवाओं की गिरफ्त में आ जाने वाले और झुग्गियों में रहने वाले गरीब अप्रवासी बच्चों को शिक्षित करने का कार्य ‘संघर्ष विद्या केंद्र’ कर रहा है। इस संस्था को संचालित करने का कार्य वहाँ की एक 63 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षिका कंचन शर्मा कर रही हैं। शर्मा पिछले 14 वर्षों से प्रवासी श्रमिकों के गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रही हैं। जम्मू काशनरी के तवी रेलवे स्टेशन के पास मराठा मोहल्ला मशहूर तो नहीं है, हर जगह कचरे के ढेर हैं, और यह प्रवासी मजदूरों की एक बड़ी आबादी का घर है जो कार्डबोर्ड, तिरपाल आदि से बने अस्थायी आश्रयों में रहते हैं। 13 वर्षीय अब्बास ने बताया, कि मैं कूड़ा बीनने का काम करता था, लेकिन अब मैं दुनिया का सबसे खुश बच्चा हूँ, मेरा बस्ता मेरे लिए सबसे बेशकीमती चीज है।

कंचन शर्मा ने गाँव कनेक्शन न्यूज के हवाले से बताया, कि मैं सड़कों पर भटकते छोटे बच्चों को भीख माँगते, तंबाकू खाते देखती तो मेरा मन बहुत ही द्रवित हो जाता था। इन गरीब बच्चों के पास पढ़ने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, और वे नशीली दवाओं के सेवन और भीख माँगने जैसी बुरी आदतों में फंस जाते हैं। अतः मैंने ‘संघर्ष विद्या केंद्र’ शुरू करने का फैसला किया।

उन्होंने आगे बताया, कि शिक्षा विभाग से अनुमति लेकर 2009 में स्कूल शुरू करने के लिए अपने खुद के पैसों का इस्तेमाल किया। उन्होंने मराठा मोहल्ला झोपड़ी में बच्चों के माता-पिता को अपने स्कूल में दाखिला लेने के लिए राजी किया। वर्तमान में स्कूल में शर्मा सहित 4 शिक्षक हैं, तथा करीब 85 बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने कहा, कि मेरे स्कूल का एकमात्र उद्देश्य बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना है।

शिक्षिका कंचन ने आगे बताया कि स्कूल को 14 साल के संघर्ष के बाद बचाए रखना भी बड़ा दुष्कर है, मैं अपने स्कूल को चलाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र(एनओसी) प्राप्त करने के लिए दर-दर भटक रही हूँ, लेकिन ऐसा करने में कोई सफलता नहीं मिली है, अगर सरकार एनओसी जारी नहीं करती है, तब स्कूल बंद हो जाएगा और यह मेरे लिए बहुत बड़ा दिल तोड़ने वाला होगा। वहीं मराठा नगर पालिका की अध्यक्ष पूर्णिमा शर्मा ने बताया, कि हम इस मामले को देख रहे हैं, अतिशीघ्र एनओसी दिलवाने का प्रयास किया जाएगा।

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