20 जनवरी। गुजरात के डायमंड सिटी सूरत का डायमंड बिजनेस पाँच लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है। लेकिन अब यह उद्योग वैश्विक मंदी और रूस पर लगाए गए पश्चिम के प्रतिबंधों की दोहरी मार झेल रहा है। ऐसा अनुमान है कि नवंबर के बाद से सूरत में हीरा तराशने वाली इकाइयों से लगभग 5000 मजदूरों को निकाल दिया गया है। सूरत रत्न कलाकार संघ के अध्यक्ष रणमल जिलिरिया ने मीडिया के हवाले से बताया, “हमें जानकारी मिली है कि दिवाली के बाद से 24 छोटे और मझोले कारखाने नहीं खुले हैं। छंटनी की वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है। कई यूनिट्स काम के घंटे भी कम कर रही हैं।”
सूरत के लगभग 4000 कारखानों में निर्यातकों सहित बड़ी फर्मों से अपरिष्कृत हीरे आते हैं। वहाँ उन्हें ज्वैलरी के हिसाब से तराशा और पॉलिश किया जाता है। इन कारखानों में 5 लाख से अधिक वर्कर्स काम करते हैं। ज्यादातर श्रमिक सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात के प्रवासी मजदूर हैं। दुनिया के 90 फीसदी हीरे सूरत में तराशे और पॉलिश किए जाते हैं। ये हीरे या तो गहनों में जड़े जाते हैं, या अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खुले में बेचे जाते हैं। जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के आँकड़ों से पता चलता है, कि अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान देश में कच्चे हीरे का आयात 853.95 लाख कैरेट रहा, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 1,122.32 लाख कैरेट था। आँकड़ों से पता चलता है, कि आयात 23.9 प्रतिशत कम हुआ है।
(‘जनसत्ता’ से साभार)
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