20 जनवरी। संपादकों की शीर्ष संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया(ईजीआई)’ ने बीते बुधवार को सरकार से अनुरोध किया, कि सोशल मीडिया कंपनियों को पत्र सूचना कार्यालय द्वारा फर्जी माने जाने वाले न्यूज आर्टिकल्स को हटाने के लिए निर्देशित करने का अधिकार देने के लिए आईटी नियमों में संशोधन के मसौदे को खत्म किया जाए। इसको लेकर ईजीआई की ओर से एक बयान भी जारी किया गया है।
ईजीआई ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी नियम-2021 में किए गए मसौदा संशोधन से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया बहुत चिंतित है, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय समाचार रिपोर्टों की सत्यता निर्धारित करने के लिए पीआईबी को अधिकार देता है। साथ ही ऑनलाइन मध्यस्थों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को फर्जी समझी जाने वाली सामग्री को हटाने का भी निर्देश देता है, लेकिन ईजीआई को लगता है, कि यह सेंसरशिप के समान है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का कहना है कि “फर्जी खबरों का निर्धारण करना केवल सरकार के हाथों में नहीं होना चाहिए, और अगर ऐसा होता है तो इससे सेंसरशिप की स्थिति पैदा हो जाएगी। गलत खबरों से निपटने के लिए पहले से ही कई कानून मौजूद हैं, लेकिन यह नई प्रक्रिया प्रेस की आजादी को कमजोर करती है। इसके अलावा केंद्र सरकार, पीआईबी या तथ्यों की जाँच करने के लिए अधिकृत किसी अन्य एजेंसी को व्यापक अधिकार देगी, ताकि ऑनलाइन मध्यवर्ती संस्थाओं को ऐसी सामग्री को हटाने के लिए मजबूर किया जा सके, जो सरकार को समस्याग्रस्त कर सकती है।