सद्भाव यात्रियों को लोगों ने बताया, चैनलों की बहसों से बढ़ रहा तनाव

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27 जनवरी. सुबह लोनी के मेजबान हाजी साहब के घर पर छोटा संवाद हुआ। उसके बाद मार्टिन फैसल और एक अन्य साथी के यहाँ छोटी बैठक हुई। इन बैठकों में स्थानीय परिस्थिति तथा हिन्दू मुस्लिम तनाव की वजहों पर चर्चा चली। लोनी में कोई डिग्री कॉलेज नहीं है। दसवीं के बाद 95 फीसद लड़कियाँ पढ़ाई छोड़ देती हैं। लोनी में लाइब्रेरी बने, यह मार्टिन फैसल का सपना है। लोगों ने तनाव के सबसे बड़े कारण के रूप में मीडिया की बहसों और दलीय नेताओं के उत्तेजक बयानों को माना।

दोपहर में दिलशाद गार्डन के वाल्मिकी मंदिर के प्रांगण एक संवाद सभा हुई। पूर्वांचल विचार मंच ने इस संवाद का आयोजन किया। इस सभा की अध्यक्षता राकेश रमण झा ने की।

डॉ आनन्द कुमार ने कहा कि देश के हालात पर बातचीत करने और अपनी जिम्मेदारी समझने समझाने के लिए हम निकले हैं। हमें एक लायक संतान की तरह अपनी भारत माँ की बदहाली बीमारी का इलाज करना है। अडाणी अम्बानी की दौलत कई गुना बढ़ी है। सरकारी पार्टी के लोगों की दसों उंगली घी में है। इनके लिए तो बड़े अच्छे दिन हैं। बाकी सारे लोग; किसान, दस्तकार, युवा की बदहाली ही बदहाली है। एक झूठी हवा बनायी जा रही है कि मुस्लिमों के कारण हिन्दू खतरे में है। मुस्लिमों के बहुसंख्यक हो जाने का हौव्वा खड़ा किया जा रहा है। वन्दे मातरम का नारा लगाते हुए हिजाब पहनी लड़की को आतंकित कर आजादी के इस नारे को बदनाम किया जा रहा है। ऐसी करतूतों से भारत माँ शर्मिन्दा होती है। डॉ आनंद कुमार ने कमाई, दवाई, पढ़ाई, महंगाई के मसले पर जोर देते हुए कहा कि एक बीमारी घर को कर्जदार बना जाती है। महंगी पढ़ाई नयी पीढ़ी के भविष्य के सपने तोड़ रही है। किसानों को सस्ते में उपज बेचने की बेबसी है। दूसरी तरफ दरारें फैल रही हैं। मीडिया में पाकिस्तान हिन्दुस्तान, श्मशान कब्रिस्तान, हिन्दू मुसलमान छाया रहता है। दिल तो सेवा से जुड़ता है। हम बुजुर्ग एक तरह से प्रायश्चित यात्रा पर निकले हैं। देश को बदहाल होने से हम रोक नहीं सके। हर जगह बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के रिश्ते को बहुसंख्यकों को संवेदनशील तरीके से निभाना होगा। 29 को हम सब शहीद पार्क में जेपी के चरणों में बैठेंगे। कोशिश कर अपनी जात और धर्म से अलग लोगों से मिलते रहें – बात बनेगी, हालात बदलेंगे। सद्भाव और मोहब्बत धन का नहीं, मन का मामला है।

हरकिशन सिंह, मौलाना नसीम फारूकी और राजेश भगत को सद्भावना बढ़ाओ देश बचाओ की ओर से घड़ी और शाल देकर सम्मानित किया गया ।

27 जनवरी की शाम को गाँधीनगर, दिल्ली में सद्भावना बढ़ाओ देश बचाओ यात्रा का संवाद आयोजित हुआ। डा. रमेश कुमार पासी का स्वागत भाषण हुआ। उन्होंने कहा कि आज की सबसे बड़ी समस्या सद्भावना की है। इशरत खान ने संवाद का संचालन किया। रिजवान अहमद ने कहा कि घर से दूर है मंदिर मस्जिद का रास्ता, अपने करीब कुछ इबादत सा करना चाहिए। इकबाल साहेब ने नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को याद करते हुए कविता कही। डा.शशिशेखर ने कहा, मनुष्य नफरत लेकर नहीं आता। नफरत रचा जा सकता है तो खतम भी किया जा सकता है।

शिववगोपाल मिश्र (ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन) ने कहा कि खौफजदा और असुरक्षित को बचाने का जुनून हो तो ही सद्भाव बच सकता है। नये बच्चों में फिरकापरस्ती भरी जा रही है। अंधेरी रात में उजाले का दरिया तो बनो, सूरज न बन सको दरिया तो बनो।

सुरेन्द्र कुमार ने बदहाल किसानी, बेरोजगारी, सम्पत्ति की सिमटन पर चिन्ता की। कारपोरेट को नफरत का जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि कुछ का उन्माद सब पर भारी पड़ता है, इस उन्माद को रोकना होगा। डा. संध्या ने कहा कि शांति और सद्भावना का कारवाँ चलता रहेगा।

शहनाज चौहान ने कहा, समझ में नहीं आता कि कि इतने अच्छे लोगों शके होने के बावजूद नफरत क्यों बढ़ रही है। हमें एकजुट होकर सद्भावना के लिए बढ़ना है. शैल पासवान (कचरा चुनने वाले बच्चों की शिक्षा पर कार्यरत) के अनुसार अम्बेडकर और गाँधी ने शिक्षा की बात कही थी। मैं उसी उद्देश्य पर चल रही हूँ। मैं अपने बच्चे को हर धर्मग्रंथ पढ़ाऊँगी। बच्चे को इंसान बनाऊँगी। महफूज साहेब ने कहा कि हमें अपने मिशन में लगे रहना है। नफरत की साजिश इस देश में सफल नहीं होनेवाली। राजेश सेजवान ने भी संक्षेप में अपनी बात रखी।

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