26 फरवरी। क्रॉस डिपेंडेंसी इनीशियेटिव (Xडीआई) द्वारा जारी एक नयी रिपोर्ट के मुताबिक भारत के नौ राज्य जलवायु परिवर्तन के सबसे गम्भीर खतरे वाले 50 क्षेत्रों में शामिल हैं। विदित हो, क्रॉस डिपेंडेंसी इनीशियेटिव(Xडीआई) क्लाइमेट रिस्क ग्रुप का ही एक घटक है, जिसने ‘ग्रॉस डोमेस्टिक क्लाइमेट रिस्क'(जीडीसीआर) के प्रथम विश्लेषण की रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में वर्ष 2050 तक दुनिया के 2600 से ज्यादा इलाकों में निर्मित पर्यावरण पर पड़ने वाले भौतिक जलवायु जोखिम की तीव्रता की गणना की गयी है। Xडीआई ‘ग्रॉस डोमेस्टिक क्लाइमेट रिस्क’ के डेटासेट में इन राज्यों की तुलना की गयी है। यह तुलना जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न बाढ़, जंगलों की आग, ताप लहर और समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी जैसी चरम मौसमी घटनाओं से इमारतों तथा अन्य सम्पत्ति को होने वाले नुकसान के मानकीकृत अनुमानों के हिसाब से की गयी है।
वर्ष 2050 तक जोखिम से घिरने जा रहे राज्यों की सूची में एशिया के सबसे ज्यादा प्रान्त शामिल हैं। कुल 200 में से 114 राज्य एशिया के ही हैं। वहीं इन 114 राज्यों में चीन और भारत के राज्यों की संख्या सबसे ज्यादा है। अध्ययन के मुताबिक, भारत के राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और केरल शामिल हैं। Xडीआई के सीईओ रोहन हम्देन ने मीडिया के हवाले से बताया कि अगर जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी हालात उत्पन्न हुए, तो क्षति के सम्पूर्ण पैमाने और जोखिम में वृद्धि के लिहाज से सबसे ज्यादा नुकसान एशियाई क्षेत्र को होगा। मगर यदि जलवायु परिवर्तन को बदतर होने से रोका गया, और जलवायु के प्रति सतत निवेश में वृद्धि हुई, तो इसका सबसे ज्यादा फायदा भी एशियाई देशों को ही होगा।