28 फरवरी. उदयपुर, समाजवादी चिन्तक, गोवा मुक्ति संघर्ष के सेनानी और चार बार के सांसद मधु लिमये के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में शनिवार को विज्ञान समिति भवन, अशोक नगर, उदयपुर (राजस्थान) में महावीर समता सन्देश, समता संवाद मंच, ऑॅल इण्डिया पीपुल्स फोरम, जनतान्त्रिक विचार मंच व समाजवादी समागम के संयुक्त तत्वावधान में मधु लिमये जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने समाजवादी आन्दोलन के नये संदर्भ विषय पर अपने विचार रखते हुए मधु लिमये के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।
सभा की अध्यक्षता मोहन लाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के आर्ट्स कॉलेज के पूर्व डीन प्रो. अरुण चतुर्वेदी ने की। सभा को मुख्य अतिथि समाजवादी नेता पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने संबोधित करते हुए कहा कि मधु लिमये एक प्रखर सांसद थे जिन्होंने अपने तर्कपूर्ण भाषणों से संसद में सार्थक बहस की श्रेष्ठ परंपरा डाली। मधु लिमये समाजवादियों और वामपंथियों की एकता के पक्षधर थे तथा उनका मानना था कि आंबेडकर और गाँधी के विचारों के समन्वय से ही भारत में एक नए समाज की रचना संभव है। उन्होंने इस प्रकार के आयोजनों के महत्त्व पर टिप्पणी करते हुए कहा कि नयी पीढ़ी के मन में राजनीति के प्रति अविश्वास है और वे यह स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि स्वार्थ के बिना भी राजनीति हो सकती है। मधु लिमये, कर्पूरी ठाकुर और मधु दंडवते जैसे लोगों के बारे में बताकर हम उनमें फिर से प्रतिबद्धता से राजनीति करने वालों के प्रति विश्वास जगा सकते हैं।
गुजरात मजदूर पंचायत के महामंत्री कामरेड जयंती पंचाल ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार कार्पाेरेट पूंजीवादियों के कब्जे में है। देश की जनता परेशान है। सरकार ने मजदूर विरोधी, किसान-विरोधी कानून बनाए हैं। गुजरात में संघ परिवार ने गाँधीजी के साबरमती आश्रम पर कब्जा कर लिया है और गुजरात विद्यापीठ जिसे गाँधीजी ने स्थापित किया था उस पर भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कब्जा हो गया है। ऐसे समय में समाजवादियों और फासीवाद विरोधी ताकतों की एकजुटता बहुत आवश्यक है।
गुजरात केमिकल वर्कर्स पंचायत के प्रमुख कामरेड असीम राय ने कहा कि 1977 के जनता पार्टी प्रयोग में हुई गलतियों की वजह से दक्षिणपंथी दलों की भारत में ताकत बढ़ी। जनसंघ का विलय भारतीय जनता पार्टी में हो गया पर समाजवादी फिर संगठित नहीं हो पाए। भारतीय जनता पार्टी को सशक्त बनाने में समाजवादियों द्वारा प्रारम्भ सम्पूर्ण क्रांति की बड़ी भूमिका रही। उन्होंने कहा कि भारतीय सन्दर्भ में मार्क्सवादी, अम्बेडकरवादी और समाजवादी धाराओं के आपसी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने से देश में सामाजिक बदलाव और राजनैतिक परिवर्तन कि भूमिका बन सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि फासीवाद से मुकाबले के लिए देश में एक मध्यमार्गीय राजनैतिक दल की उपस्थिति भी आवश्यक है।
महाराष्ट्र से आई सुशीला ताई मोराले ने देश के समाजवादी आन्दोलन में महिलाओं के योगदान पर चर्चा की और श्रीमती अरुणा आसफ अली के नाम पर स्थापित अपनी शिक्षण संस्था के सन्दर्भ में नयी शिक्षा नीति के जनविरोधी और प्रतिगामी प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति ने शिक्षक को विक्रेता और विद्यार्थी को ग्राहक में तब्दील कर दिया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि मधु लिमये जिस काल में संसद में थे वह संसद का स्वर्ण काल था। तब संसद की बहस बहुत ज्ञानवर्धक हुआ करती थी। उन्होंने मधु लिमये जी के साथ अपने अनुभव के संस्मरण भी सुनाये।
प्रारंभ में वरिष्ठ पत्रकार व समाजवादी समागम के संयोजक हिम्मत सेठ ने अतिथियों का परिचय दिया व विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मधु लिमये दो-दो साम्राज्यवादी ताकतों से लड़े, स्वतंत्रता आन्दोलन में जेल गये। गोवा मुक्ति आन्दोलन का नेतृत्व किया और जेल गये। बड़ी बात यह है कि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन का विरोध करते हुए उसे लेने से मना कर दिया। उन्होंने पूर्व सांसद को मिलने वाली पेंशन भी नहीं ली। दिल्ली में उनका आवास फ्रिज, कूलर, एसी से सदैव मुक्त रहा। आपातकाल में जेल में रहते हुए संसद की अपनी सदस्यता से इसलिए त्यागपत्र दे दिया क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने संसद का कार्यकाल अवैध रूप से एक साल बढ़ा दिया जो उन्हें स्वीकार नहीं था।
‘युगधारा’ के अध्यक्ष अशोक मंथन ने अपनी कविता प्रस्तुत की। ‘महावीर समता सन्देश’ के संपादक प्रो. हेमेन्द्र चण्डालिया ने आयोजन के उद्देश्यों और मधु लिमये के जीवन पर प्रकाश डाला और कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर डॉ. फरहत बानो के भाकपा माले की केंद्रीय कमिटी में चुने जाने पर उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अंत में समता संवाद मंच की अध्यक्ष डॉ. सर्वत खान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में जनता दल सेकुलर के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन देथा, भाकपा माले की राज्य समिति के सदस्य कामरेड शंकरलाल चौधरी, ऐक्टू के राज्य सचिव सौरभ नरुका, भाकपा माले के जिला सचिव डॉ. चन्द्रदेव ओला, ट्रेड यूनियन कोआर्डिनेशन कमिटी के पी.एस. खिंची, एल.आई.सी. कर्मचारी नेता एम.एल. सियाल, बोहरा जमात के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष शायर अबिद अदित, ए.एच. दानिश, भीलवाड़ा से सत्यनारायण व्यास, राकेश दशोरा, जनता दल (एस) के रामचन्द्र सालवी, इस्माइल अली दुर्गा, एम.एल.सेठ, जनतांत्रिक विचार मंच के संयोजक पीयूष जोशी, वरिष्ठ कवि जयप्रकाश पंड्या ज्योतिपुंज, रामदयाल महरा आदि उपस्थित थे।