7 मार्च। राग-रंग का पर्व होली गिले-शिकवे भुलाकर गले लगाने का संदेश देता है। यह त्योहार पुराने समय से गंगा-जमुनी तहजीब को मजबूती देता रहा है। राजस्थान के बाड़मेर जिले के सोडियार गाँव में होली के मौके पर आपसी सौहार्द और गंगा-जमुनी संस्कृति के दर्शन होते हैं। हिंदुओं के साथ मुस्लिम भी जोर-शोर से होली मनाते हैं। यह होली हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है। सोडियार गाँव में हिंदू-मुस्लिम के एकसाथ होली मनाने की यह परंपरा दशकों से चली आ रही है। इस त्योहार में दोनों समुदाय के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और हर कार्य में सहयोग भी करते हैं। यहाँ होली को लेकर कभी कोई विवाद नहीं हुआ।
जिले के ग्रामीण इलाकों में आज भी सांप्रदायिक सौहार्द की होली खेली जाती है। सोडियार गाँव में हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के लोग मिलकर होली का गैर नृत्य खेलते हैं। होली पर खेला जाने वाला गैर नृत्य आज भी पारंपरिक तरीके से खेला जाता है। मुस्लिम बुजुर्ग सुलेमान खान ने न्यूज-18 के हवाले से बताया, कि कई साल से होली खेलते आ रहे हैं। कभी धर्म व जाति का भेदभाव नहीं रखा। यही वजह है, कि दशकों से एकसाथ होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं। वहीं गाँव के ही एक हिंदू चिमाराम ने बताया कि ईद के दिन हमलोग मुस्लिम भाइयों को मिठाई खिलाकर उन्हें ईद की मुबारकबाद देते हैं। साथ ही होली के दिन एक-दूसरे को रंग लगाकर बधाइयां देते हैं।
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