10 मार्च। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने गुजरात की एक अदालत में दिल्ली के उप-राज्यपाल वी.के.सक्सेना की उस अर्जी का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने वर्ष 2002 में ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ की नेता पर कथित हमले के मामले में उनके खिलाफ सुनवाई को रोकने का अनुरोध किया है। अपनी अर्जी में सक्सेना ने अनुरोध किया है कि उनके खिलाफ मामले की सुनवाई उनके उप-राज्यपाल पद पर बने रहने तक निलंबित रखी जाए। उन्होंने इसके लिए संविधान के अनुच्छेद -361 का हवाला दिया है। वहीं मेधा पाटकर ने अपने जवाब में सक्सेना की अर्जी को पूरी तरह से ‘गलत’ बताते हुए कहा कि यह याचिका केवल प्रक्रिया में देरी के लिए दाखिल की गई है।
मेधा पाटकर ने आगे कहा कि संविधान में मुकदमे से मिली छूट उप-राज्यपाल के लिए नहीं है, क्योंकि दिल्ली के उप-राज्यपाल का पद किसी राज्य के राज्यपाल के समान नहीं है। दिल्ली के उप-राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद-153 के तहत राज्यपाल नहीं हैं, बल्कि सिर्फ केंद्र शासित प्रदेश के ‘प्रशासक’ हैं, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा उनकी ओर से कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया है। विदित हो, कि वी.के.सक्सेना को मई 2022 में दिल्ली का उप-राज्यपाल बनाया गया। जिन्होंने नर्मदा बांध योजना का विरोध करने को लेकर मेधा पाटकर पर कथित हमला किया गया था। इस मामले में अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी।
(‘डाइनामाइट न्यूज’ से साभार)
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