12 मार्च। मणिपुर की वर्तमान भाजपा सरकार ने पहाड़ी क्षेत्रों को हड़पने के उद्देश्य से पहाड़ी क्षेत्रों के कई हिस्सों को आरक्षित वन घोषित कर दिया, और उसके बाद आदिवासियों को उनके घरों व गाँवों से बेदखल करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में राज्य के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में बुलडोजर ने लोगों के आशियाने तोड़ने शुरू कर दिए, जिसके खिलाफ राज्य में हो रहे विरोध प्रदर्शन के साथ-साथ केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुँचाने के लिए जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन किया गया, तथा प्रधानमंत्री कार्यालय को ज्ञापन सौंपा गया। ये विरोध प्रदर्शन ‘कुकी’ की दिल्ली इकाई द्वारा किया गया। इसके अलावा, इसी तरह मणिपुर में भी छात्र संगठनों के साथ ही आदिवासी नागरिक संगठनों ने एक साझा मंच बनाकर विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा क्रूर तरीके से मणिपुर में जनजातीय गाँवों से आजादी के पहले से रह रहे लोगों को बेदखल किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने इसे पूरी तरह से अवैध बेदखली बताते हुए तुरंत इस कदम को वापस लेने की माँग की है। प्रदर्शनकारियों ने ‘न्यूज क्लिक’ के हवाले से बताया कि सरकार ने संरक्षित वन के दायरे में रहने के बहाने उन्हें उनके घरों से बेघर कर दिया। लगभग 20 घरों को सरकारी बुलडोजर से पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान सरकार ने मौसम का भी ध्यान नहीं रखा और सर्दियों के मौसम में महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों सहित सैकड़ों ग्रामीणों को बेघर कर दिया।