16 मार्च। गुजरात ने एक बार फिर देश के उन राज्यों की सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया है, जहाँ पिछले पाँच वर्षों में हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें हुईं. राज्य में ऐसे 80 मामले सामने आए हैं। यह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा प्रदान किया गया आधिकारिक आंकड़ा है, और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में पेश किया गया है। गुजरात में 2017-18 में हिरासत में 14 मौतें, 2018-19 में 13, 2019 में 12, 2021 व 22 में क्रमशः 20 और 24 मौतें हुईं। इसके अलावा गुजरात की जेलों में कैदियों की स्थिति के बारे में मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़े भी विकास और प्रगति की तमाम बातों के बावजूद एक दयनीय तस्वीर पेश करते हैं।
गुजरात में 13,999 कैदियों की जेल क्षमता है, 16,597 कैदी वर्तमान में इसकी जेलों में रखे गए हैं। स्पष्ट है कि गुजरात की जेलों में क्षमता से 2,598 कैदी ज्यादा भरे हैं। गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों में यह बताया गया है। वह हाल ही में लोकसभा में कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे। पुलिस हिरासत में मौतों के मामले में, गुजरात में वर्ष 2020 से फरवरी, 2021 के बीच सबसे अधिक 15 मामले दर्ज किए गए। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश में न्यायिक हिरासत में मौत के 395 मामले दर्ज किए गए। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा पुलिस हिरासत में कुल 86 मौतों की सूचना दी गई थी, जहाँ गुजरात राज्य में पुलिस लॉकअप में हुई मौतों का 6% हिस्सा था।
(‘सबरंग इंडिया’ से साभार)