23 मार्च। दिल्ली के जंतर-मंतर पर मनरेगा मजदूरों का धरना 29वें दिन भी जारी रहा। ‘नरेगा संघर्ष मोर्चा’ के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि आज के धरने की पुलिसिया अनुमति होने के बावजूद प्रदर्शनकारियों को मात्र दो घंटे ही धरना देने की अनुमति दी गयी। ‘नरेगा संघर्ष मोर्चा’ द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, गुरुवार को जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी द्वारा एक धरने का आयोजन किया गया था। इसके कारण पुलिसवालों ने अन्य धरनारत संगठनों को दोपहर 1 बजे से पहले धरना स्थल खाली करने को कहा। जब उत्तर प्रदेश से आये मनरेगा मजदूरों ने इसका विरोध किया, तो पुलिसकर्मियों ने बलपूर्वक उनको धरना से हटाने की कोशिश की।
उल्लेखनीय है, कि ‘नरेगा संघर्ष मोर्चा’ के आह्वान पर नरेगा मजदूरों का दिल्ली के जंतर-मंतर पर 100 दिवसीय धरना बीते 13 फरवरी से जारी है। धरनारत मजदूरों का कहना है कि इस संबंध में हर दिन मोर्चा की ओर से पुलिसिया अनुमति ली जाती है। इसके मुताबिक सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक विरोध प्रदर्शन किया जा सकता है। उनका कहना है कि आज भी हमारे पास पुलिस की पूर्व अनुमति थी। इसके बावजूद न केवल हमें शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए एक उचित स्थान से वंचित किया गया, बल्कि हमें भविष्य में जंतर-मंतर पर विरोध करने की अनुमति नहीं देने की धमकी भी दी गई।
‘नरेगा संघर्ष मोर्चा’ के सदस्यों का आरोप है कि यह और कुछ नहीं बल्कि भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर हमला है। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और शांतिपूर्ण सभा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद-14 के साथ पढ़े जाने वाले अनुच्छेद-19 के तहत निहित है। मोर्चा ने मजदूरों के अधिकारों के हनन पर केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार से जवाबदेही की माँग की है, साथ ही उनका कहना है कि ‘नरेगा संघर्ष मोर्चा’ देश भर के हजारों मजदूरों की वाजिब माँगों को उठाने के लिए अडिग रहेगा।
(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)