जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल को गांधीजी की मानहानि करने के जुर्म में अदालत कब सजा देगी?

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— डॉ सुनीलम —

म्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 23 मार्च को ग्वालियर में भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस एवं समाजवादी चिंतक डॉ राममनोहर लोहिया की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में हजारों छात्र छात्राओं के बीच कहा कि महात्मा गांधी के पास कानून की कोई डिग्री नहीं थी। यह बात उन्होंने कई बार दोहराई। उनकी बात सुनते ही मैंने तुरंत फेसबुक पर शाम 5:15 बजे लिखा कि “मैं अभी भाषण सुन रहा हूं, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कह रहे हैं कि महात्मा गांधी के पास कानून की कोई डिग्री नहीं थी। उन्होंने कानून की कोई डिग्री प्राप्त नहीं की थी। यह बात उन्होंने तब बोली जब वे छात्र छात्राओं को सत्य के साथ खड़े होने का सबक दे रहे थे। यह गांधीजी के बारे में भ्रम फैलाने का सुनियोजित प्रयास है। गांधीजी को अपमानित करने के लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।”

फेसबुक पर मैंने गांधीजी की उच्चशिक्षा तथा यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से कानून की डिग्री लेने संबंधित जानकारी साझा की।

मेरे बगल में जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के पूर्व सचिव राकेश शर्मा जी बैठे थे। मैंने उन्हें अपनी पोस्ट पढ़ाकर कहा कि मैं यह सफेद झूठ तथा गांधीजी को अपमानित करने वाली टिप्पणी नहीं सुन सकता। मैं जिन तीन साथियों के साथ कार्यक्रम में गया था, उनके साथ विरोधस्वरूप बहिर्गमन कर निकल गया।

घर पहुंचने पर मैंने फेसबुक पर देखा कि वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक ने 6 बजकर 8 मिनट पर मेरी फेसबुक की जानकारी के आधार पर लिखा कि कोई बताओ उन्हें कि गांधी बैरिस्टर थे। उन्होंने यह भी लिखा है कि मुझे समारोह में खड़े होकर सिन्हा के झूठ का प्रतिवाद करना चाहिए था।

मैंने 6:21 बजे फेसबुक पर डॉ पाठक की फेसबुक पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा कि राकेश पाठक जी, खास बात तो यह है कि वह सत्य बोलने को लेकर विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं से अपील कर रहे थे। आपकी जानकारी के लिए मैंने विरोधस्वरूप बहिर्गमन किया।

इस घटनाक्रम का वर्णन करने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि देश भर में कई साथी यह कह रहे हैं कि समाजवादियों ने विरोध नहीं किया, इसलिए बहिर्गमन का उल्लेख करना जरूरी हो गया।

अब मैं मूल विषय पर आता हूं। मैं मानता हूं कि मनोज सिन्हा जी ने जो कुछ किया वह अज्ञानवश नहीं, सोच समझकर गांधीजी को अपमानित करने के लिए कहा। यह संघ की कार्यशैली का हिस्सा है। संघ से जुड़े तमाम भाजपा के नेता लगातार गांधीजी को अपमानित करने, उनकी छवि को बर्बाद करने वाली पोस्ट डालते रहते हैं। यह सीधे-सीधे गांधीजी की मानहानि से जुड़ा मामला है।

राहुल गांधी ने नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चौकसी को चोर कहा और यह पूछा कि ऐसा क्यों है कि सब चोरों के नाम मोदी है? यह नहीं कहा कि सब मोदी चोर हैं। फिर भी किसी मोदी की मानहानि की शिकायत पर राहुल गांधी को 2 साल की सजा हो गई।

मेरा सवाल यह है कि यदि महात्मा गांधी के परिवार का कोई व्यक्ति मनोज सिन्हा के खिलाफ अदालत में मानहानि का प्रकरण दर्ज करता है, तो क्या देश की कोई भी अदालत मनोज सिन्हा को वैसे ही 2 साल की सजा सुनाएगी जैसी कि राहुल गांधी को सुनाई गई है? सजा होने के बाद क्या मनोज सिन्हा को उपराज्यपाल पद से बर्खास्त किया जाएगा?

सच कहूं तो मुझे यह नहीं लगता कि मनोज सिन्हा को कोई भी अदालत सजा देने वाली है और उन्हें सजा के बाद बर्खास्त किया जाने वाला है।

यह इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि आए दिन मुसलमानों को लेकर तमाम अपमानित करने वाली, धमकाने वाली, चरित्र हनन करने वाली टिप्पणियां भाजपाइयों और संघियों द्वारा की जाती हैं लेकिन आज तक किसी भी भाजपाई को मानहानि के प्रकरण में सजा नहीं हुई है।

मेरा सवाल है कि एक देश में क्या दो कानून चल रहे हैं? एक कानून अडानी, नरेंद्र मोदी, अमित शाह एवं अन्य भाजपाइयों के लिए और दूसरा कानून विपक्ष के लिए?

फिलहाल यह देखने के लिए इंतजार करना होगा कि महात्मा गांधी के परिवार से कौन या कोई गांधीजन किस न्यायालय में मनोज सिन्हा की टिप्पणी को लेकर मानहानि का प्रकरण दर्ज करता है, कब प्रकरण में मनोज सिन्हा को सजा होती है तथा कब उन्हें कश्मीर के उपराज्यपाल पद से बर्खास्त किया जाता है।
सजा हो या न हो परंतु मनोज सिन्हा का झूठ जगजाहिर हो चुका है।

ऐसे अज्ञानी और झूठे व्यक्ति को जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

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