लखनऊ में हुई मधु लिमये स्मरण सभा

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8 अप्रैल। मधु लिमये जन्मशती समारोह समिति उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में 25 मार्च को गांधी भवन लखनऊ के करन भाई हॉल में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सार्वजनिक जीवन के प्रहरी, संसदीय संग्राम के महारथी, विलक्षण प्रतिभा के धनी, सुप्रसिद्ध सोशलिस्ट चिंतक श्री मधु लिमये की स्मरण सभा का आयोजन किया गया।

स्मरण सभा का उदघाटन करते हुए दिल्ली के पूर्व विधायक, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर श्री राजकुमार जैन ने कहा कि मधु लिमये जी ने साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ते हुए समाजवादी आन्दोलन के लिए संघर्ष किया और उसे आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि मधु लिमये जी कार्यकर्ताओं पर होने वाली जुल्म-ज्यादती के खिलाफ चट्टान की तरह खड़े रहते थे। आज हम लोगों को उनका ऋण चुकाना है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिन्दी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद श्री उदय प्रताप सिंह ने अपनी कविताओं के माध्यम से देश के वर्तमान हालात पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता तीनों एक दूसरे के पूरक हैं। वर्तमान सत्ता तीनों पर हमला कर रही है। लोकतंत्र को कमजोर करने वाली ताकतों को वैचारिकी से जवाब देना है।

विशिष्ट अतिथि एवं वरिष्ठ लेखक-पत्रकार श्री अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि मधु लिमये जी ने संविधान की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया। आज देश में लोकतंत्र, समाजवाद, और धर्मनिरपेक्षता सभी पर खतरा मंडरा रहा है। फासिज्म की ताकतें सक्रिय हैं। पूंजीवाद चरम पर है। मधु लिमये जी ने आरएसएस की नफरती राजनीति को पहचान लिया था। मधु जी की प्रासंगिकता को आज नई पीढ़ी को बताना है। उन्होंने कहा कि इतिहास को हथियार बनाया जा रहा है। औपनिवेशिक मानसिकता के खिलाफ लड़ाई समाजवादी ही लड़ेंगे।

कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि समाजवादी आन्दोलन व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है। चुनाव तो उसमें एक पड़ाव है । मधु जी हमेशा व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई लड़ते रहे। उन्होंने कहा कि समाजवादी गांधीजी के दर्शन से निकले हुए लोग हैं।

वरिष्ठ पत्रकार एवं सुप्रसिद्ध सोशलिस्ट चिंतक श्री हर्षवर्धन सिंह ने कहा कि मधु जी केवल फिरंगी साम्राज्यवाद से ही नहीं लड़े वरन उन्होंने पुर्तगाली साम्राज्यवाद से भी लोहा लिया और गोवा को मुक्त कराया। वास्तव में गोवा मुक्ति के नायक डॉ लोहिया और मधु लिमये ही हैं

कानपुर से आए “विवेक शक्ति” पत्रिका के सम्पादक श्री कुलदीप सक्सेना ने बताया कि मधु जी ने एक सौ से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। वे ज्ञान के अपार भंडार थे । अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर ज्योति बसु तक मधुजी के अपार ज्ञान का लोहा मानते थे।

कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कुमार अनजान ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने की मुहिम को मजबूती देनी होगी। उन्होंने मधुजी के साथ के कई संस्मरण साझा किए।

लोकनायक जयप्रकाश नारायण के राजनीतिक सचिव रहे श्री सुरेन्द्र विक्रम सिंह, वरिष्ठ सोशलिस्ट चिंतक श्री शहनवाज़ क़ादरी, वरिष्ठ पत्रकार एवं सोशलिस्ट विचारक श्री मधुकर त्रिवेदी ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ रमेश दीक्षित ने कहा कि वर्तमान सत्ता बहस नहीं चाहती है। लेकिन बहस का माहौल बनाए रखना है। तभी लोकतंत्र बचेगा।

सभा का संचालन कर रहे, कार्यक्रम के मुख्य आयोजक वरिष्ठ सोशलिस्ट चिन्तक श्री विजय नारायण ने बताया कि मधु लिमये शताब्दी वर्ष में देश के विभिन्न भागों में इस प्रकार के कार्यक्रम हो रहे हैं। उसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में यह कार्यक्रम हो रहा है जिसमें प्रदेश के लगभग प्रत्येक जिले से साथी आए हुए हैं ।

श्री मधु लिमये शताब्दी समारोह समिति के आयोजन में सर्वश्री विजय नारायण, राम किशोर, महिमा सिंह, हफ़ीज़ किदवई का विशेष योगदान रहा।

कार्यक्रम में सर्वश्री मनीष सिंह (देवरिया), लालजी यादव (भदोही), चक्रवर्ती राय (गोरखपुर), धीरज राम (गोरखपुर), हरिश्चंद्र (मऊ) डॉ ज्ञान प्रकाश दूबे (आजमगढ़), डॉ राजवर्धन जाटव (अमरोहा) पासी जयवीर सिंह (हरदोई) , विकास कुमार यादव (देवरिया), डॉ कृष्ण कुमार त्रिपाठी (कानपुर), मो. नाजिर (कानपुर), एसके राम (मऊ), सर्वेश राय (भदोही), मायाराम यादव (अयोध्या), महेन्द्र मिश्रा (सिद्धार्थनगर), सीपी राय, जासमीर अंसारी एमएलसी, दीपक रंजन, धीरेन्द्र श्रीवास्तव, अनुराग मिश्रा, अतहर हुसैन, इमरान, राशिद, के.के. त्रिपाठी, मुकेश शुक्ला, प्रदीप कपूर, प्रदीप शर्मा, एस.के. राय, मणेंद्र मिश्र, के.के. शुक्ला, सिद्धार्थ सिंह, मनीष सिंह, इकबाल खान, महेन्द्र यादव, हरिश्चन्द्र पाण्डेय, डॉ. रवीन्द्र द्विवेदी, गोपाल यादव, एडवोकेट वीरेन्द्र त्रिपाठी, एडवोकेट प्रभात कुमार, साथी यादवेन्द्र, आशीष कुमार डिगडिगा, सोनू कनौजिया, पूजा शुक्ला, जूही सिंह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

– राम किशोर

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