15 अप्रैल। सौ दिन पहले हर अखबार, टीवी चैनल जोशीमठ धंसाव की खबरों से भरे पड़े थे। जोशीमठ में जो तबाही हुई उससे जोशीमठ के हजारों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए। लोग बे-घरबार हो गए हैं, और भयानक खतरे की आशंका में अपने दिन काट रहे हैं। ‘जोशीमठ संघर्ष समिति’ पिछले सौ दिनों से जोशीमठ के लोगों के उचित पुनर्वास एवं विस्थापन के लिए संघर्ष कर रही है। लेकिन उनका कहना है कि सरकार ने उनकी माँगें अनसुनी कर रामभरोसे छोड़ दिया है। दो महीने बाद मानसून आने वाला है, जिस कारण लोग भारी तबाही की आशंका से घबराए हुए हैं।
इस आंदोलन के समर्थन में हिमालयी राज्यों के युवाओं द्वारा गठित ‘यूथ फॉर हिमालय’ भी मैदान में आ डटा है। इस धरने में कई संगठनों से मिलकर बने समूह की टीम समर्थन देने के लिए आई है, जिसने बीते बुधवार को दिन भर घूम कर जोशीमठ के प्रभावितों से बातचीत की। गौरतलब है कि जोशीमठ में भू-धंसाव के मामले दिसंबर से ही आने शुरू हो गए थे। जनवरी की शुरुआत में कई जगहों पर भू-धंसाव की घटनाएं हुई थीं। शहर के मनोहर बाग, सुनिल, सिहंधार वार्ड एवं ओली रोड़ में लोगों ने घरों में दरार आने की बातें कही थीं।
(‘मेहनतकश’ से साभार)