देश को बचाने के लिए मजदूर आंदोलन को भी एकजुट होना पड़ेगा – अशोक राव

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19 मई। वामपंथी विचारक और बिजली कर्मचारियों के नेता अशोक राव ने कहा कि देश की हालत अत्यंत खराब है। जिस तरह से सरकार में बैठे लोग काम कर रहे हैं उससे मुसलमान का क्या होगा यह तो पता नहीं, लेकिन हिंदुस्तान जरूर टूट जाएगा।

अभ्यास मंडल की व्याख्यानमाला के लिए इंदौर आए श्री अशोक राव शुक्रवार को अभिनव कला समाज सभागृह में इंदौर के विभिन्न ट्रेड यूनियनों और वामपंथी कार्यकर्ताओं से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने देश में बढ़ रही गैरबराबरी की चर्चा करते हुए कहा कि 80% लोग ₹25000 या उससे भी कम कमा रहे हैं, जबकि 10% लोग करोड़ों रुपया। इसी तरह से चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा जब लोगों की क्रयशक्ति जवाब दे जाएगी। बाजार में सामान तो उपलब्ध होगा, लेकिन खरीदने वाले नहीं होंगे। हालात पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और श्रीलंका से भी बदतर हो जाएंगे।

आपने कहा कि तकनीक बदल रही है इसलिए ट्रेड यूनियन मूवमेंट को भी फिर से विचार करना चाहिए। आज वेतन, भत्तो की लड़ाई के बजाय देश बचाने की लड़ाई लड़नी पड़ेगी। आपने विदेशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के ट्रेड यूनियन में अनुसंधान भी होते हैं, उद्योग की समस्याओं पर चिंतन भी होता है और जानकार लोग चर्चा में शामिल होते हैं, जबकि हमारे यहां ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं का कहीं कोई शिक्षण प्रशिक्षण नहीं होता है।

श्री राव ने इस पर जोर दिया कि वर्तमान राजनीतिक हालात में वामपंथी समाजवादी ताकतों को एकजुट होना चाहिए, यह देश की जरूरत है।

चर्चा में प्रमुख रूप से अरविंद पोरवाल, सुनील चंद्रन, रुद्रपाल यादव, मनोहर लिंबोदिया, सीएल सर्रावत, रामस्वरूप मंत्री, मुकेश चौधरी, कैलाश लिंबोदिया, शफी शेख, भागीरथ कछवाय, भारत सिंह ठाकुर, नागर एडवोकेट, अशोक दुबे ,अजय लागू, रामदेव सयादीवाल, सहित बड़ी संख्या में ट्रेड यूनियन और वामपंथी आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ता शरीक थे।

करीब 1 घंटे के लंबे उदबोधन में श्री अशोक राव ने रूस- यूक्रेन युद्ध, चीन की बढ़ती ताकत, अमेरिका की पूंजीवादी सोच, एनजीओ द्वारा अपने लाभ के लिए पूंजीपतियों के राज की वकालत तथा तीसरी दुनिया में अमेरिका की गिरती ताकत पर विस्तार से चर्चा की।


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