23 मई। उत्तराखंड में चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान पर तत्काल रोक लगाने, बेघर लोगों का पुनर्वास करने तथा वनभूमि पर निवास कर रहे सभी लोगों को भूमि का मालिकाना हक दिये जाने आदि माँगों को लेकर वन गुर्जर समुदाय व प्रभावित अन्य लोगों ने प्रभागीय वन अधिकारी तराई पश्चिमी के कार्यालय पर प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों की बढ़ती संख्या को देखकर प्रभागीय वनाधिकारी ग्रामीणों का ज्ञापन लिए बगैर ही अपने कार्यालय से नदारद हो गये।
वन गुर्जरों ने मीडिया के हवाले से बताया, कि हम लोग पीढ़ियों से वनों में रहकर, पशुपालन कर अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी वनाश्रित समाज के दावों पर सुनवाई लंबित होने तक उन्हें जंगलों से हटाए जाने पर रोक लगा रखी है, इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी गैरकानूनी तरीके से उनका उत्पीड़न कर रहे हैं, जिससे हम सभी में भय का माहौल है। वहीं इस धरने को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने सरकार के इस अभियान से प्रभावित लोगों को एकजुट होकर अपने संघर्षों को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। आंदोलनकारियों ने धरने के बाद जुलूस निकालकर एसडीएम रामनगर के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन प्रेषित किया।
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