7 अगस्त। विद्या आश्रम और वाराणसी ज्ञान पंचायत के संयुक्त प्रयास से 2 अगस्त को एक स्वराज ज्ञान पंचायत का आयोजन हुआ। विद्या आश्रम स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित इस ज्ञान पंचायत में किसान यूनियन के नेताओं व कारीगरों के आलावा सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और नौजवानों की भागीदारी हुई।
ज्ञान पंचायत शुरू होने के पहले लोकविद्या सत्संग के गायकों ने लोकविद्या के पद गाकर लोकविद्या को ज्ञान एवं किसान तथा कारीगर समाजों को ज्ञानी समाजों के रूप में प्रतिष्ठित किया। स्वराज ज्ञान पंचायत की शुरुआत विद्या आश्रम द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘न्याय, त्याग और भाईचारा : किसान आन्दोलन और भावी समाज दृष्टि’ के लोकार्पण के साथ हुई। लोकार्पण भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष श्री राजपाल शर्मा ने किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में एम.एस.पी. की लड़ाई को केन्द्रीय महत्त्व का बनाते हुए संगठन और संघर्ष पर विशेष जोर दिया। राष्ट्रीय सचिव सुरेश यादव ने भी अपनी बात रखी। सुनील सहस्रबुद्धे ने कहा कि पुस्तक किसान आन्दोलन का सन्देश बताती है। पुस्तक में जिन लोगों के लेख हैं वे सब पूरी ज़िन्दगी किसान आन्दोलन में रहे हैं और इस आस्था के लोग हैं कि किसानों के नेतृत्व में ही एक सभ्य समाज का निर्माण हो सकेगा।
भोजन के पहले के सत्र में चर्चा का विषय रहा ‘हर किसान परिवार की आय सरकारी कर्मचारी जैसी होनी चाहिए’। इसका सैद्धांतिक आधार यह बताया गया कि किसान ज्ञानी है और उसका ज्ञान विश्वविद्यालय की विद्या से कमतर नहीं है। इसलिए उसके ज्ञान से होनेवाले कामों में भी वही आय होनी चाहिए जो विश्वविद्यालय की डिग्री से मिलनेवाली नौकरियों में होती है। इस सत्र के मुख्य वक्ता रहे -लक्ष्मण प्रसाद, भाकियू अध्यक्ष वाराणसी जिला, राजेश आज़ाद, संयोजक संयुक्त किसान मोर्चा आजमगढ़ (उ.प्र.) और फ़ज़लुर्रहमान अंसारी, संयोजक बुनकर साझा मंच।
दोपहर के सत्र में विषय था–‘किसान-नौजवान एकता में स्वराज के सूत्र हैं’। सत्र का संचालन पारमिता ने किया और स्वराज अभियान के रामजनम ने विषय प्रवेश किया। इस सत्र के प्रमुख वक्ता रहे- धनंजय त्रिपाठी, बीएचयू, संयोजक, ज्वाइंट एक्शन कमिटी, हरिश्चंद्र बिन्द,राष्ट्रीय महासचिव, माँ गंगा निषाद सेवासमिति, और इप्शिता, भगतसिंह छात्र मोर्चा, बीएचयू। गोष्ठी का समापन वरिष्ठ समाजवादी चिन्तक और विद्या आश्रम के मित्र विजयनारायण ने किया।