प्रतिरोध के इंद्रधनुष थे विमल भाई – एनएपीएम व डीएसजी

0

17 अगस्त। विमल भाई प्रसिद्ध सामाजिक और पर्यावरण कार्यकर्ता तथा एनएपीएम के प्रमुख नेताओं में से एक थे, उनकी 15 अगस्त के दिन नई दिल्ली के एम्स में मौत हो गयी। इस हृदय विदारक खबर को साझा करते हुए हमारा दिल टूट जाता है। विमल भाई और उनकी देखभाल करने वाले सभी लोगों के लिए पिछले 7 दिन बेहद कष्टदायी थे, क्योंकि उन्होंने जीवन के आखिरी हर क्षण को बहादुरी से लड़ा। हमें विश्वास है, कि सभी डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कई अंगों के काम करना बंद कर देने के कारण उनके शरीर ने हार मान ली। 10 अगस्त को उन्हें सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था और उसी शाम AIIMS में भर्ती कराया गया था, क्योंकि लंबे समय से कोविड संक्रमण के कारण फेफड़े, लीवर, किडनी आदि अंगों में गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न हो गयी थीं।

विमल भाई ने हजारों लोगों के जीवन को व्यक्तिगत रूप से और आंदोलनकारी के रूप में प्रभावित किया, जबसे उनके अस्वस्थ होने की सूचना सामने आई, तबसे देश के कोने-कोने से चिंता, आशा और प्रार्थनाओं के संदेश अनवरत आ रहे थे। गंगा हो या नर्मदा, नदियों को मुक्त रूप से बहते रहने के प्रति उनका जुनून 4 दशकों से अधिक समय तक सक्रिय रहा। उन्होंने नदियों पर बांध, प्रदूषण आदि का विरोध करने के लिए अथक प्रयास किया। खासकर उत्तराखंड के टिहरी-गढ़वाल क्षेत्र में कार्यरत माटू जन संगठन के माध्यम से।

विमल भाई ने वास्तव में अपने संघर्ष और एकजुटता के काम में प्रतिरोध के सच्चे इंद्रधनुष का प्रतिनिधित्व किया। बांध विरोधी और पारिस्थितिकी आंदोलनों में एक सक्रिय आयोजक होने से लेकर खोरीगाँव के बस्तीवासियों का समर्थन करने, राजस्थान में खनन विरोधी संघर्षों में मदद करने के लिए, नफरत और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ अभियानों में सबसे आगे खड़े होने के लिए, राजनीतिक बंदियों की रिहाई का समर्थन करने और कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार पर जोर देने के लिए वह हमेशा लोगों और प्रकृति के साथ थे। वह कई वर्षों तक एनएपीएम के राष्ट्रीय समन्वयकों और संयोजकों में से एक थे। उन्होंने कई LGBTQIA+ प्राइड मार्च में भाग लिया और अन्य आंदोलनों के बीच एक महत्त्वपूर्ण सेतु थे।

पिछले दो वर्षों में भयंकर कोविड महामारी के दौरान राहत कार्यों के अलावा, उन्होंने हरियाणा सरकार द्वारा बेरहमी से बेदखल किये गए खोरीगाँव के हजारों परिवारों की सहायता करने के लिए खुद को झोंक दिया। प्यार से काकाजी और खोरीवासी के रूप में संबोधित, विमल भाई का वृद्ध और जवान दिन-रात अस्पताल में इंतजार करते रहे और उन्हें बचाने के लिए हरसंभव कोशिश करते रहे। हम विमल भाई को सलाम करते हैं। हमें खोरीगांव के लोगों के प्रति अधिक एकजुटता के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, जिनका संघर्ष अभी जारी है।

विमल भाई ने अपना अंतिम पत्र 25 जुलाई, 2022 को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति सुश्री द्रौपदी मुर्मू को लिखा था, जिसमें उन्होंने आदिवासियों पर दमन समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने, पाँचवीं अनुसूची में उल्लिखित उनके अधिकारों को बनाए रखने तथा उनकी अनूठी सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक जीवन शैली को संरक्षित रखने का आह्वान किया था। वह दशकों तक ‘नर्मदा संघर्ष’ के प्रबल समर्थक रहे और उम्मीद जताई थी, कि राष्ट्रपति जी नर्मदा जीवनशालाओं के आदिवासी छात्रों से मिलेंगी, ताकि मौजूदा शासन द्वारा नर्मदा अभियान पर गलत तरीके से किए गए हमले को समझा जा सके।

विमल भाई आजीवन सीधे-सादे और गैर-उपभोक्तावादी बने रहे। विमल भाई कई आंदोलनों में प्रमुख चेहरा थे, जो धरने, प्रदर्शनों और प्रतिनिधिमंडलों की योजना के साथ दिल्ली में उतरते थे। उनका घर हमेशा सभी आंदोलनों के कार्यकर्ताओं के लिए खुला रहता था। वह एक उत्कृष्ट रसोइया, कलाकार, कवि, फिल्म निर्माता, प्रचारक, मित्र थे। वह एक आंदोलन कार्यकर्ता के रूप में अत्यंत सूचनासंपन्न थे और उन्होंने अधिकारियों और संस्थानों को लोगों के अधिकारों और भूमि के कानूनों के प्रति जवाबदेह ठहराने के लिए सभी लोकतांत्रिक साधनों का परिश्रमपूर्वक उपयोग किया। वह ऐसे व्यक्ति थे, जो जमीन से लेकर अदालतों और संसद तक ‘संघर्ष-निर्माण’ में दृढ़ विश्वास रखते थे। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के कई फैसलों पर उनकी छाप है। वह हमेशा युवाओं के साथ जुड़ने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए उत्सुक रहते थे। वर्षों से हममें से कई लोगों ने उनके साथ जुड़ाव से स्वयं को लाभान्वित किया है।

इस शोकपूर्ण घड़ी में हम उनके परिवार के सदस्यों, आंदोलन के सहयात्रियों तथा पूरे भारत और उसके बाहर के दोस्तों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं। जिंदाबाद खोरीगांव! दिल्ली सिविल सोसाइटी के लोगों, वकीलों, डॉक्टरों, एम्स और सफदरजंग के मेडिकल स्टाफ तथा स्वयंसेवकों को तहे दिल से शुक्रिया, जिन्होंने विमल भाई को वापस लाने की उम्मीद के साथ चौबीसों घंटे काम किया। विमल भाई, हम आपको हमेशा-हमेशा के लिए याद करेंगे, लेकिन हम आपको अपने दिलों में, अपने चल रहे संघर्षों में संजोएंगे, क्योंकि हमारे पास अपने लोकतंत्र को फासीवादी और कॉर्पोरेट हमले से, गहराते पारिस्थितिकी और जलवायु संकट से बचाने के लिए कोई विकल्प नहीं है।

– जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM)
दिल्ली सालिडैरिटी ग्रुप (DSG)

Leave a Comment