‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की कार्रवाई से मुक्त कराये गए बाल बँधुआ मजदूर

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24 मई। बच्चों के दुर्व्यापार और बाल मजदूरी रोकने को लेकर किये गये संवैधानिक प्रावधान के बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ताजा मामला देश की राजधानी दिल्ली स्थित आजाद मार्केट की खिलौना फैक्ट्रियों का है, जहाँ से ‘बचपन बचाओ आंदोलन’, एसडीएम दरियागंज, श्रम विभाग, बाल विकास धारा और पुलिस की साझा छापामार कार्रवाई में 41 बच्चे मुक्त कराए गए। छुड़ाए गए बच्चे बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड के हैं। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित बचपन बचाओ आंदोलन(बीबीए) के सहयोग से मारे गए इन छापों के दौरान छुड़ाए गए बच्चे साफ तौर पर भूख और थकान के शिकार दिखाई दे रहे थे।

छापामार कार्रवाई के बाद आजाद मार्केट के रामबाग रोड पर स्थित दर्जन भर फैक्ट्रियों को सील कर दिया गया, तथा बॅंधुआ मजदूरी कानून, बाल श्रम कानून, बाल न्याय कानून और ट्रैफिकिंग एक्ट आदि के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है। छुड़ाए गए बच्चों ने मीडिया के हवाले से बताया, कि रोजाना सुबह नौ बजे से लेकर आधी रात तक खटाया जाता था। न तो ठीक से खाना दिया जाता था, न ही सोने की कोई जगह थी। आधी रात तक काम करने के बाद उन्हें फैक्ट्री में ही सोना पड़ता था। वहीं इस मसले पर ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के निदेशक मनीष शर्मा ने मीडिया के जरिये बताया कि यह पूरे समाज के लिए चिंता की बात है, कि आजादी के दशकों बाद भी हम अपने बच्चों को बाल मजदूरी के कोढ़ से मुक्त नहीं करा पाए हैं। खिलौनों से खेलने की उम्र में बच्चों को खिलौना बनाते हुए देखना हम सभी को शर्मसार करने वाली बात है।

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