यौनहिंसा के ढांचों को तोड़ने के बजाय आंदोलनकारियों के तंबुओं को तोड़ रही सरकार

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29 मई। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जंतर-मंतर पर विगत कई दिनों से चल रहे पहलवानों के धरने को समर्थन देने के लिए महिला संगठनों व अन्य सभी नागरिक समाज संगठनों ने रविवार यानी 28 मई को नए संसद भवन के बाहर ‘महिला सम्मान महापंचायत’ का आह्वान किया था। जिसमें दिल्ली व आसपास के राज्यों की हजारों महिलाओं के शामिल होने की आशा थी। महिलाओं की सामूहिक ताकत के डर से सरकार ने पहले ही सभी सीमावर्ती सड़कों को अवरुद्ध कर दिया, सभी नजदीकी मेट्रो स्टेशनों को तथा सड़कों को बंद कर दिया।

एक पुरुष प्रधान देश महिलाओं की एकजुटता को देख कितना डरा हुआ है। इन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भी महिलाओं और नागरिकों ने विरोध स्थल तक पहुँचने की कोशिश की। इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पुलिस ने कई महिलाओं को हिरासत में ले लिया गया है। कई महिलाओं को पुलिस द्वारा शारीरिक और मौखिक हिंसा का शिकार भी होना पड़ा। महिला संगठनों ने मीडिया के हवाले से बताया, कि बीते कुछ दिन पहले पुलिस द्वारा पहलवानों पर की गई हिंसा से पूरा देश भयभीत है।

महिला पहलवानों के समर्थन में खड़े लोगों के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव किया गया, जबकि वहीं वास्तविक अपराधी बृजभूषण शरण सिंह सत्ता के नशे में मस्ती से घूम रहा है। उन्होंने आगे कहा, कि हम पहलवानों और हिरासत में लिये गए लोगों के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़े हैं। उन्होंने माँग की कि भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी हो, तथा हिरासत में लिये गए पहलवानों और कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए।

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