1 जुलाई। फसल बीमा करते वक्त किसानों को सब्जबाग दिखाए गए थे कि जब भी उनकी फसल अतिवृष्टि या पाला पड़ने या अन्य किसी प्राकृतिक प्रकोप से खराब होगी तो उन्हें दावे की राशि मिलेगी, जिससे वे अपने नुकसान की भरपाई कर पाएंगे। लेकिन फसल बीमा के नाम पर किसानों को एक रुपया भी नहीं मिला है। इंदौर जिले में आधी से ज्यादा पंचायतों में गेहूं और सोयाबीन की पूरी फसल बर्बाद होने के बावजूद, सरकार की गलत नीति और बीमा कंपनियों की मनमानी के चलते, किसानों को मुआवजा राशि नहीं मिली है। संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री और बबलू जाधव ने बताया कि पिछले दो साल से किसानों की फसल लगातार बर्बाद हो रही है। कभी ओलावृष्टि से तो कभी बेमौसम बारिश से। किसानों को उम्मीद थी कि सरकार ने हमसे फसल बीमा के लिए मोटी बीमा राशि ली है, तो अब बीमा कंपनी हमें फसल नुकसानी का मुआवजा देगी। लेकिन किसानों की उम्मीद पर सरकार की गलत नीतियों और बीमा कंपनी की मनमानी के कारण पूरी तरह पानी फिर गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा लगातार मांग कर रहा है कि फसल नुकसानी के सर्वे के लिए किसान के खेत को ही अनावरी माना जाना चाहिए, लेकिन सरकार ने नीति बनाई हुई है कि पटवारी हलके को अनावरी मानकर नुकसानी का सर्वे किया जाए। इसके चलते किसानों के नुकसान का सही आकलन नहीं हो पाता है और उन्हें मुआवजा नहीं मिल पाता है। इसी के साथ, पिछले 3 साल की पैदावार का औसत निकाल कर नुकसानी तय करने से भी नुकसान का सही आकलन नहीं हो पाता है और बीमा कंपनी क्लेम देने से इंकार कर देती है।
इंदौर जिले में साढे़ तीन सौ से ज्यादा पंचायतें हैं। जिनमें करीब 185 पंचायतों में किसानों को बीमा राशि नहीं मिली है। जबकि कुल भूमि के हिसाब से बीमा कंपनी ने प्रीमियम लिया था। ठगाए किसान सरकार और बीमा कंपनी को कोस रहे हैं। हालांकि इस वर्ष से सरकार ने अनावरी की सीमा किसान का खेत कर दी है लेकिन पिछले 2 सालों का मुआवजा पूर्व के नियम से ही तय किया जा रहा है। इसके चलते जिन किसानों की पूरी फसल भी बर्बाद हो गई है उन्हें भी मुआवजा नहीं मिला है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने इस संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मांग की है कि किसानों को फसल बीमा योजना के तहत फसल नुकसानी के मुआवजे का तत्काल भुगतान कराया जाए, साथ ही सर्वे को पटवारी हलके के बजाय खेत को अनावरी मानकर किया जाए। अन्यथा संयुक्त किसान मोर्चा अन्य किसान संगठनों के साथ एकजुट होकर आंदोलन को बाध्य होगा।