2 जुलाई। वाराणसी में सर्व सेवा संघ के भवनों को ध्वस्त करने और परिसर खाली करने के रेलवे के नोटिस के बाद से पूरे देश में सर्वोदय कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। अन्य संस्थाओं, संगठनों और अब विपक्षी दलों की ओर से भी रेलवे और जिला प्रशासन के रवैये के खिलाफ लगातार आवाज उठ रही है। सर्व सेवा संघ के परिसर में और परिसर के बाहर भी सत्याग्रह के कार्यक्रम बराबर हो रहे हैं। इस क्रम में रविवार को बसंत कॉलेज मोड़ से लेकर मस्जिद गेट तक मानव शृंखला बनायी गयी जिसमें सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरनाथ भाई, लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण संगठन के अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार, राज्यसभा सांसद अनिल हेगड़े, फादर जयंत समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए। जिला प्रशासन के साथ मिलकर रेलवे द्वारा खड़ा किये गए विवाद के संदर्भ में सच्चाई से अवगत कराने के लिए एक परचा भी बॉंटा गया।
देश भर से गांधीजनों के सर्व सेवा संघ के वाराणसी परिसर पहुंचने का सिलसिला जारी है। बैठकों, आपसी चर्चाओं, प्रार्थना, गीत, नारे लगाने, प्रभात फेरी निकालने का क्रम जारी है। मामला हाईकोर्ट में है। आज फिर सुनवाई है। जाहिर है सबकी निगाहें आज हाईकोर्ट की तरफ लगी होंगी।
इस बीच गांधी स्मारक निधि के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र राही और सचिव संजय सिंह ने रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वाईपी आनंद से मिलकर रेलवे के दावे और नोटिस पर चर्चा की। रामचंद्र राही और संजय सिंह ने सूचित किया है कि, वाईपी आनंद ने माना कि रेलवे का नोटिस पूरी तरह अवैध है।
“पूरा मसला समझने के बाद उन्होंने (वाईपी आनंद) ने बताया कि जमीन के विक्रय पत्र पर नॉर्दर्न रेलवे के डिविजनल इंजीनियर का हस्ताक्षर वैध और नियमानुसार है। वह उस क्षेत्र के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं और उन्हें इसका अधिकार है। जमीनों की अदला-बदली करना और बेचना रेलवे की सामान्य प्रक्रिया है, इसमें कोई अचरज की बात नही। रेलवे ने जमीन का सौदा किया, कीमत स्वीकार की और जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद जमीन पर सर्व सेवा संघ को कब्जा दिलाया इसलिए यह पूरी प्रक्रिया विधिसंगत है।”
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