बनारस में वाटर टैक्सी को लेकर मल्लाहों में आक्रोश

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8 जुलाई। बनारस की गंगा में वाटर टैक्सी चलाए जाने को लेकर बनारस के नाविक काफी गुस्से में हैं। इस फैसले ने उन मांझियों की चिंता बढ़ा दी है, जिनकी जिंदगी में पहले से ही तमाम मुश्किलें हैं। वाटर टैक्सी चलाए जाने के विरोध में बनारस में नौकाओं का संचालन पूरी तरह ठप रहा। काफी मान-मनौव्वल के बाद देर रात नौकायन शुरू कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन अस्सी घाट समेत कई घाटों के मांझियों ने अपनी नावों को गंगा में नहीं उतारा। गौरतलब है, कि बनारस के लिए दस वाटर टैक्सियां मंगाई गई हैं, और सरकारी तंत्र ने इनका भाड़ा भी तय कर दिया है।

नौकरशाही का मानना है, कि वाटर टैक्सियों के चलने से पर्यटन उद्योग को नई रफ्तार मिलेगी, लेकिन मांझियों के मुताबिक, बीजेपी सरकार उनकी आजीविका की नाव पूरी तरह डुबो देने पर तुली है। साल 2018 में गंगा में पहली मर्तबा अलखनंदा क्रूज उतारा गया था, तब मांझियों ने कड़ा विरोध किया था। उस समय करीब 18 दिनों तक गंगा में नावों का संचालन बंद रहा।

पीएम नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित दौरे के चलते मांझियों की हड़ताल ने सरकार को झकझोर दिया। मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु और जिलाधिकारी एस. राजलिंगम के आश्वासन के बाद माझी समुदाय के लोग गंगा में अपनी नाव चलाने के लिए तैयार हो गए। हालांकि अस्सी घाट और उसके आसपास के इलाके के मांझियों ने जबरदस्त नाराजगी के चलते अपनी नाव गंगा में नहीं उतारी। हड़ताली नाविकों का कहना है, कि सरकार झूठी है, और वह गुमराह कर रही है।

(‘न्यूज क्लिक’ से साभार)

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