सविनय अवज्ञा सत्याग्रह के पचास दिन पूरे; आज सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की ओर

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9 जुलाई। सरकार के मनमानेपन और वाराणसी में सर्व सेवा संघ की जमीन हड़पने की साजिश के खिलाफ चल रहे सत्याग्रह के पचास दिन कल पूरे हो गए। इस सत्याग्रह में देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में पुरुष एवं महिला कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। रविवार को सत्याग्रह की अध्यक्षता सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चंदनपाल तथा संचालन लोक समिति के राष्ट्रीय संयोजक श्री कौशल गणेश आजाद ने किया। सत्याग्रह की शुरुआत रोज की तरह गांधीजी की प्रिय प्रार्थना की गयी।

इस मौके पर उपस्थित लोक समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गिरिजा सतीश ने सत्याग्रहियों को संबोधित करते हुए कहा कि सत्याग्रह की शुरुआत सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से की थी। दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी का सत्याग्रह सफल भी हुआ। वहां के बाद गांधी ने बिहार के चंपारण में किसान-मजदूरों के सवाल पर सत्याग्रह किया। वो भी सफल रहा। श्री सतीश ने कहा कि यह आंदोलन गरीबों और अमीरों के बीच का है। उन्होंने कहा कि देश संकट के दौर से गुजर रहा है। संविधान और लोकतंत्र पर खतरा है। देश गुलामी और महंगाई की ओर बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आज पुनः देश में ग्रामस्वराज्य की आवश्यकता है। गांधीजी के ग्रामस्वराज्य को जमीन पर उतारने के लिए सर्व सेवा संघ प्रयासरत है लेकिन सर्व सेवा संघ की जमीन पर उत्तर प्रदेश सरकार की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है। वह यहां बने भवनों को ध्वस्त करने की साजिश कर रही है जो निंदनीय है।

सर्वोदय मंडल उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष श्री रामधीरज ने बताया कि वाराणसी जिला प्रशासन तथा रेल अधिकारियों की मिलीभगत से एकाएक सर्व सेवा संघ परिसर में नोटिस चिपका दिया गया कि 30 जून तक इसे खाली कर दें। ये जमीन आपकी नहीं है। उन्होंने बताया कि अभी सुप्रीम कोर्ट से तत्काल थोड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई की तिथि 10 जुलाई मुकर्रर की गई है। उन्होंने बताया कि यह जमीन सर्व सेवा संघ की है। इसकी तीन रजिस्ट्री का बैनामा सर्व सेवा संघ के पास है। इस जमीन के क्रेता हमारे महापुरुष विनोबा भावे हैं। उन्होंने बताया कि एक साजिश के तहत जमीन हड़पने की कोशिश जिला प्रशासन की ओर से की जा रही है।

सर्व सेवा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमरनाथ भाई ने कहा कि सर्व सेवा संघ के भवनों को ध्वस्त करना गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण की विरासत और स्मृति को मिटाना है। हम किसी भी हालत में इस विरासत को मिटने नहीं देंगे। उन्होंने बताया कि यह सत्याग्रह पूरे देश में फैल गया है। विभिन्न संगठनों और दलों ने गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण की विरासत को बचाने के लिए चल रहे सत्याग्रह को न केवल नैतिक समर्थन किया बल्कि सक्रिय समर्थन भी कर रहे हैं।

रविवार को आचार्य कुल के संरक्षक आचार्य पंकज, काशी विद्यापीठ के शिक्षक डॉ सतीश राय, वयोवृद्ध नेता विजयशंकर पांडे, गाजीपुर से जेपी आंदोलन के साथी ईश्वर चंद आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस कड़ी में लोक समिति, छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी और मजदूर-किसान समिति ने सक्रिय समर्थन किया है। सत्याग्रह में जागृति रही, संध्या सिंह, चेखूर प्रसाद प्रजापति, आगरा के सर्वोदय नेता चंद्रमोहन पाराशर, नंदलाल मास्टर, बिशुनधारी यादव, मिथिलेश निराला, राजकुमार भारत, विमल जी, शीतल जैन, सियाराम (महात्मा गांधी सेवा आश्रम, जौरा, मुरैना, मध्य प्रदेश), मोहम्मद इस्लाम, मुश्ताक अंसारी (बुनकर समाज), शिवजी सिंह (महामंत्री, लोक समिति, बिहार), मुन्नालाल मिश्रा (आगरा) आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

– रामधीरज
सर्व सेवा संघ, वाराणसी

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