29 जुलाई। महाराष्ट्र सरकार द्वारा विधान परिषद में दिए गए आँकड़े बेहद हैरान करने वाले हैं। दिए गए आँकड़ों के मुताबिक, शैक्षिक सत्र 2017-18 और 2022-23 के बीच हर महीने स्कूल या छात्रावास में औसतन दो आदिवासी छात्रों की मौत हो गई। आदिवासी कल्याण मंत्री विजय कुमार गावित ने विधान परिषद में बताया, कि वास्तविक मौतें 108 थीं, इनमें से 49 आदिवासी छात्रों की मौत सीधे सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में हुई, जबकि 59 की मौतें राज्य वित्तपोषित निजी स्कूलों में हुईं। दोनों संस्थानों में हुई मौतों के लिए गावित ने विभिन्न बीमारियों को कारण बताया।
सवाल उठाने वाले एमएलसी ने नासिक डिवीजन में सबसे ज्यादा मौतें होने के बारे में सत्यापन की भी माँग की। जिस पर मंत्री ने पुष्टि करते हुए बताया, कि सदन में जिन 108 मौतों पर चर्चा हो रही थी, उनमें से 25 फीसद से अधिक मौतें अकेले नासिक डिवीजन में हुई हैं। गावित ने कहा कि ऐसा इसलिए था क्योंकि नासिक में बड़ी संख्या में आश्रमशालाएं थीं, और नामांकन भी उसी के मुताबिक थे। 108 मौतों में से 28 नासिक डिवीजन में हुईं। गावित ने कहा, कि इनमें से 20 लड़के थे। गावित के अनुसार, ऐसे मामलों में तह तक जाने और बेईमानी से निपटने के लिए पोस्टमार्टम कराया जाता है। आदिवासी कल्याण मंत्री विजय कुमार गावित ने कहा कि महाराष्ट्र में 542 निजी, सहायता प्राप्त आश्रमशालाएं हैं, जिनमें वर्तमान में 2.42 लाख छात्र नामांकित हैं।