लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान ने की मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मॉंग

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30 जुलाई, 2023। रविवार 30 जुलाई को लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान का दिल्ली राज्य सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमें सिविल सोसायटी के कई जाने-माने जनसरोकारी व्यक्तियों सहित करीब सौ लोगों ने शिरकत की। दिल्ली में दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित तिवारी भवन में सम्मेलन सुबह साढ़े दस बजे से शाम छह बजे तक चला और दो सत्र में संपन्न हुआ।

सम्मेलन में मणिपुर हिंसा और वहाँ के हालात को लेकर मणिपुर सरकार तथा केन्द्र सरकार का संदिग्ध रवैया, बनारस में सर्व सेवा संघ परिसर पर सरकार का अवैध कब्जा तथा लोकतंत्र व संविधान पर व सौहार्द तथा देश की एकता पर संघ परिवार की तरफ से रोजाना हो रहे हमले दिन भर चर्चा का विषय बने रहे। ‘हम देश बचाने निकले हैं’ इस टैगलाइन के साथ हुए सम्मेलन में सबने अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को विदा करने की जरूरत बताई।

लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ आनंद कुमार ने दिल्ली राज्य सम्मेलन के पहले सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए बताया कि लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान बनाने की जरूरत क्यों महसूस की गयी। यह संगठन नहीं, एक साझा मंच है जिससे समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व में विश्वास रखने वाले विभिन्न संगठनों के लोग जुड़े हैं। ऐसे लोग भी जुड़े हैं जो किसी संगठन में नहीं हैं। जुड़ने वालों की संख्या बढ़ रही है और लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान धीरे-धीरे राष्ट्रीय आकार ग्रहण करता जा रहा है तथा विभिन्न राज्यों में इसके राज्य सम्मेलन करने का सिलसिला जारी है। अक्टूबर में अभियान का राष्ट्रीय सम्मेलन होगा।

डॉ आनंद कुमार ने कहा कि आज समस्या सिर्फ यह नहीं है कि सत्ता में बैठे लोग, जनता की समस्याओं से विमुख होकर, मौज-मस्ती में डूबे हैं। आज हालत यहाँ तक पहुँच गयी है कि केंद्रीय सत्ता खुद नागरिकों के बीच नफरत फैलाने और लोकतंत्र व संविधान पर हमले करने में जुटी हुई है। आरएसएस की विचारधारा और उसके इतिहास को देखते हुए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है लेकिन देश के लिए यह अपूर्व संकट का समय है। लोकतंत्र और संविधान को बचाना हर नागरिक का धर्म है, इसलिए हम निष्क्रिय और खामोश नहीं रह सकते। उन्होंने इस सिलसिले में यह भी बताया कि बनारस में सर्व सेवा संघ परिसर किस तरह आचार्य विनोबा भावे, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, लालबहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण के प्रयत्नों से स्थापित हुआ था और उस परिसर के लिए रेलवे से बाकायदा सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 और 1970 में जमीन खरीदी थी। रजिस्ट्री और भुगतान के सारे कागजात भी हैं। फिर भी, सर्व सेवा संघ परिसर पर रेलवे अवैध कब्जा करने में सफल हो गया तो इसलिए कि साजिश सत्ता के गलियारों से अंजाम दी जा रही थी। लेकिन हमने हार नहीं मानी है, गांधी विरासत को बचाने की हमारी लड़ाई जारी है।

सम्मेलन में बनारस से आए सर्व सेवा संघ प्रकाशन के प्रभारी अरविन्द अंजुम ने विस्तार से बताया कि सर्व सेवा संघ परिसर पर कब्जा करने के लिए प्रशासन व रेलवे के अधिकारियों की मिलीभगत से कागजात में छेड़छाड़ की गयी और सर्व सेवा संघ के स्वामित्व को साबित करने वाले पुख्ता प्रमाणों को नजरअंदाज किया गया। यह ऊपर से मिली शह के बगैर नहीं हो सकता। अरविन्द अंजुम ने यह भी बताया कि रेलवे के संबंधित अधिकारियों पर सर्व सेवा संघ ने फर्जीवाड़ा करने का मुकदमा दर्ज कराया है।

किसान नेता व पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा कि हालात बहुत चिंताजनक जरूर हैं लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं है। ग्यारह राज्यों में विपक्ष की सरकारें हैं, और यह संख्या और बढ़ने वाली है, क्योंकि मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के हारने के ही आसार दीख रहे हैं। डॉ सुनीलम ने यह भी बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ने जा रहा है और इस बार किसान संगठनों व ट्रेड यूनियनों का साझा आंदोलन होगा।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि कारपोरेट के हित साधने वाले और नागरिक अधिकारों के पर कतरने वाले कानून, संसद में बिना चर्चा के, धड़ाधड़ पास किये जा रहे हैं। उन्होंने इस सिलसिले में वन संरक्षण संशोधन अधिनियम और सूचना अधिकार कानून को पंगु बनाने के लिए लाये जा रहे डेटा प्रोटेक्शन बिल का खासतौर से हवाला दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की क्या हालत है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि ईडी के निदेशक एसके मिश्रा को फिर डेढ़ महीने का सेवा विस्तार दे दिया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को पहले तीन बार दिए गए सेवा विस्तार को अनुचित और अवैधानिक ठहराते हुए 31 जुलाई तक उन्हें पदमुक्त करने का आदेश दिया था। प्रशांत जी ने कहा कि चुनाव आयोग से लेकर मानवाधिकार आयोग तक सारी लोकतांत्रिक संस्थाएँ निराश कर रही हैं, मीडिया भी उलटी राह पर है। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं?

प्रशांत जी ने सुझाव दिया कि पैसे पर काम करने वाली ट्रोल आर्मी के जवाब में हम स्वैच्छिक रूप से काम करने के इच्छुक लोगों को जोड़कर फेक न्यूज़ का भंडाफोड़ करने और सही तथ्यों के प्रचार का व्यापक अभियान चला सकते हैं। संघ परिवार के तरह तरह के खतरनाक नैरेटिव का मुकाबला करने के लिए यह जरूरी है। प्रशांत जी ने कहा कि देश में रोजगार के अधिकार का कानून बनवाने के लिए आंदोलन चलाना चाहिए। इस कानून का अर्थ यह होगा कि एक निश्चित आयु के बाद, अगर किसी को मॉंगने पर भी काम नहीं मिलता है, तो उसे न्यूनतम मजदूरी का पचास प्रतिशत बेरोजगारी भत्ते के तौर पर दिया जाए।

आईकैन संगठन के दीपक ढोलकिया ने दूसरे सत्र के अध्यक्ष के तौर पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश की वर्तमान स्थिति यह है कि हमें झाड़-झंखाड़ के बीच से आगे बढ़ना है, एक कदम रखने के बाद ही हमें समझ में आएगा कि दूसरा कदम कहॉं रखें। उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र की एक बड़ी समस्या यह है कि नागरिक-बोध का विकास नहीं हो पाया है। यह कैसे हो इस पर हमें सोचना होगा।

लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के दिल्ली राज्य सम्मेलन में वरिष्ठ गांधीमार्गी, सद्भाव मिशन के विपिन त्रिपाठी, खुदाई खिदमतगार के फ़ैज़ल ख़ान, वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेड़ा, राकेश रफ़ीक़, फीरोज़ मीठीबोरवाला, मंजू मोहन, वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार त्रिपाठी, जनता दल यू के नेता अरुण श्रीवास्तव, प्रो उमाशंकर, हिम्मत सिंह, जनतंत्र समाज के वरिष्ठ कार्यकर्ता रामशरण, श्रमिक संगठन एटक की नेता अमरजीत कौर, डॉ राजेश पासी, डॉ संत प्रकाश, अर्जुन, प्रभा, रीता, गांधीमार्गी कार्यकर्ता रमेश चन्द्र शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

सम्मेलन में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करके राष्ट्रपति से मॉंग की गयी कि मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त किया जाए। दूसरे, मणिपुर हिंसा की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी जज की निगरानी में कराई जाए और मणिपुर हिंसा के पीड़ितों को यथाशीघ्र क्षतिपूर्ति दी जाए, और सभी दोषियों को सजा सुनिश्चित की जाए।

सम्मेलन के पहले सत्र का संचालन डॉ शशि शेखर प्रसाद सिंह ने और दूसरे सत्र का संचालन मणिमाला ने किया। डॉ आनंद कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ सम्मेलन का समापन हुआ।

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