5 अगस्त। हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक तनाव के मद्देनजर कर्फ्यू लगाए जाने के चलते रोज कमाने खाने वाले मजदूर नूंह छोड़ने को मजबूर हैं। बड़ी संख्या में मजदूर सिर पर सामान लादे, महिलाएं अपने बच्चों को गोद में लिये भूखे पेट, पैदल जाने को मजबूर हैं। लोगों ने दो दिन से कुछ नहीं खाया है, बच्चों को दूध नहीं मिला है, अब कर्फ्यू खत्म होने का इंतजार नहीं किया जा सकता इसलिए पैदल ही भीषण गर्मी और उमस में मजदूरों के परिवार अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। कर्फ्यू की वजह से गाड़ियां नहीं चल रहीं, तो लोगों का कहना है कि भूखे मरने से तो अच्छा है, चलते-चलते मर जाएं। गुड़गांव क्षेत्र में रेहड़ी-पटरी व छोटी दुकान लगाने वाले अल्पसंख्यक तबके से आने वालों की आबादी भी तेजी से गाँव की ओर पलायन कर रही है।
वहीं इस मामले को लेकर मजदूर सहयोग केंद्र और इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा डीसी कार्यालय के आगे सभा का आयोजन किया गया, और हरियाणा सरकार व भारत के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन सौंपा गया। कार्यक्रम में क्षेत्र की अन्य सामाजिक संस्थाओं, मजदूर संगठनों और वकीलों ने भी भागीदारी की। क्षेत्र में बनी तनावपूर्ण परिस्थिति में धारा 144 के बावजूद इकठ्ठा हुए सभी साथियों ने मजदूरों की वर्गीय एकता का एक परिचय दिया। संगठनों ने गरीब मेहनतकश मजदूर तबके पर चल रही साम्प्रदायिक हिंसा का असर व इनमें विशेषकर अल्पसंख्यक मुसलमान समुदाय के प्रवासी मजदूरों के साथ हो रही हिंसा, उन्हें काम से और घरों से निकालने की कोशिशों को उजागर किया और प्रशासन से इस विषय में तीव्र हस्तक्षेप की माँग की।