मानवाधिकार आयोग ने कनहर विस्थापितों की पीड़ा का लिया संज्ञान

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आइपीएफ नेता दिनकर कपूर के पत्र पर दर्ज हुआ केस
16 अगस्त को दुद्धी में होगा नागरिक समाज का सम्मेलन

12 अगस्त। कनहर विस्थापितों की पीड़ा का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के उप्र महासचिव दिनकर कपूर द्वारा जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजे पत्र को संज्ञान में लेते हुए आयोग ने केस दर्ज कर लिया है और डायरी संख्या 114071/सीआर/2023 के तहत दर्ज केस में अग्रिम कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रेस को जारी बयान में आईपीएफ नेता ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमापूर्ण जीवन जीने के हर भारतीय नागरिक के अधिकार से कनहर विस्थापितों को वंचित कर दिया गया है। सैकड़ों विस्थापित बिना पुनर्वास पैकेज पाए अपनी जमीन से बेदखल हो गए हैं और भुखमरी की हालत में आ गए हैं।

विस्थापित कॉलोनी में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, शुद्ध पेयजल, पक्की सड़कें, बंद नालियां, शौचालय आदि का इंतजाम नहीं किया गया है। बरसात के मौसम में उनकी कच्ची बनी झोंपड़िया गिर गईं और खुले में उन्हें जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यही नहीं, जिन विस्थापितों की वारिस एक मात्र लड़कियां हैं, राजस्व संहिता में नियम होने के बावजूद उन्हें पुनर्वास पैकेज का लाभ नहीं दिया गया। प्रपत्र 3 व 11 में दर्ज विस्थापितों और जलमग्न टापू में रहने वाले लोगों को भी विस्थापन सूची में सम्मिलित नहीं किया गया। सरकार के वादा करने के बावजूद कनहर आंदोलन में लगाए मुकदमे वापस नहीं किए गए हैं और बुजुर्ग लोगों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इसकी शिकायत दिनकर कपूर ने मानवाधिकार आयोग से की थी और अब केस दर्ज होकर कार्रवाई शुरू हो गई है।

कनहर विस्थापितों के नेता और बैरखड के पूर्व प्रधान इस्लामुद्दीन ने बताया कि 16 अगस्त को सिविल बार एसोसिएशन दुद्धी के हॉल में नागरिक समाज की तरफ से कनहर विस्थापितों की पीड़ा को लेकर सम्मेलन बुलाया गया है। जिसमें जनपद के जनप्रतिनिधियों, राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ताओं और संस्कृतिकर्मियों व नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है और पूरे जिले में नागरिक समाज की तरफ से एक बड़ी पहल की तैयारी की जा रही है।


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