13 अगस्त। संयुक्त युवा मोर्चा के देशव्यापी रोजगार अधिकार अभियान के सिलसिले में प्रयागराज के सलोरी में छात्रों की आमसभा में अभूतपूर्व आजीविका संकट के सवाल पर युवाओं को संगठित करने को लेकर विचार विमर्श किया गया। संयुक्त युवा मोर्चा के एजेंडा को प्रचारित करने और इस मुहिम को हरसंभव समर्थन करने की अपील की गई। एजेंडे में प्रमुख रूप से रोजगार अधिकार गारंटी के लिए कानून बनाना, सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पड़े एक करोड़ पदों को तत्काल भरना, आउटसोर्सिंग/संविदा व्यवस्था का उन्मूलन, रेलवे-बैकिंग समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजीकरण निषिद्ध करने और रोजगार सृजन के लिए कारपोरेट्स पर संपत्ति व उत्तराधिकार जैसे टैक्स लगाने जैसे मुद्दे शामिल हैं।
संयुक्त युवा मोर्चा ने प्रदेश में रोजगार अधिकार अभियान की कार्ययोजना तैयार करने के लिए 19 अगस्त को लखनऊ में युवा प्रतिनिधियों की मीटिंग बुलाई है।
बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में शामिल करने की मांग का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार और एनसीटीई से अपील की गई कि संशोधित गजट जारी कर रिव्यू पेटीशन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करें।
चर्चा में महत्वपूर्ण विषय यह भी रहा कि भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार और अन्य सरकारें अनावश्यक रूप से भर्ती प्रक्रिया में विवादों को पैदा कर रही हैं। विगत एक दशक में ऐसे हजारों विवाद जानबूझ कर पैदा कर चयन प्रक्रिया को अधर में लटकाया गया जिससे रोजगार आंदोलन के लिए युवा संगठित न हो पायें।
प्रदेश के मानसून सत्र में जानकारी दी गई कि अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में करीब 25 हजार पद रिक्त हैं। ऐसे में यह मांग जोर पकड़ रही है कि सरकार इन सभी रिक्त पदों को 4163 पदों के विज्ञापन में शामिल करे। एलटी व प्रवक्ता के पदों को तत्काल विज्ञापित करे, इसके अलावा सभी भर्तियों के प्रतियोगी छात्रों को एकजुट करने की अपील की गई। बताया गया कि तकनीकी संवर्ग में भी एक लाख पद रिक्त हैं। 52 हजार पुलिस भर्ती की प्रस्तावित भर्ती 4 साल से अधर में है। प्रदेश में सभी रिक्त पदों को भरने के चुनावी वायदे को पूरा करने की भी सरकार से मांग की गई।
छात्रों की आमसभा में संयुक्त युवा मोर्चा द्वारा प्रस्ताव पारित कर इविवि में छात्रों के दमन की कार्रवाई पर क्षोभ व्यक्त किया। प्रस्ताव में कहा गया कि छात्रों को वाजिब मुद्दों को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से आवाज उठाने की सजा दी गई और जेल भेजा गया व मुकदमे दर्ज किए गए। न्यायालय द्वारा भी यूनिवर्सिटी के इस दमन की कार्रवाई को संज्ञान में न लेने की वजह से अनावश्यक रूप से छात्रों का उत्पीड़न हो रहा है। मांग की गई कि छात्रों का दमन बंद किया जाए, तत्काल जेल से रिहा किया जाए और सभी दर्ज मुकदमे वापस हों।
– राजेश सचान