17 अगस्त। सर्व सेवा संघ के वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के ध्वस्तीकरण एवं अवैध तौर पर केंद्र सरकार द्वारा कब्जे में लिये जाने के खिलाफ मुलतापी में किसान स्तंभ पर किसान संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने धरना दिया तथा प्रधानमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन को अनुविभागीय अधिकारी मुलताई ने स्वयं धरना स्थल पर एसडीओपी और टीआई के साथ आकर लिया।
धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा कि अब देश में किसी भी संस्था की जमीन सुरक्षित नहीं है। कभी भी सरकार को चुनौती देने वाली संस्था की जमीन को कब्जा कर इमारतों को ध्वस्त किया जा सकता है। जैसा मुगलों और अंग्रेजों द्वारा चुने हुए राष्ट्रभक्तों के साथ किया गया था, वही काम मोदी सरकार गांधी, जेपी, विनोबा, लोहिया की विरासत को नष्ट करने के लिए कर रही है।
डॉ. सुनीलम ने कहा कि गांधीजी की हत्या करने वाले को याद रखना चाहिए कि गांधीजी, विनोबा, जेपी, लोहिया के विचार को कभी नष्ट नहीं किया जा सकता क्योंकि वे भारत की संस्कृति और संविधान से उपजे विचार हैं। उन्होंने कहा, मुलतापी की जनता को सच्चाई बतलाने के लिए धरना दिया गया है।
पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि सर्व सेवा संघ द्वारा खरीदी गई जमीन को पुलिस के दम पर हथियाकर जमीन अडानी को रेलवे प्रोजेक्ट के नाम पर सौंपने की साजिश की जा रही है, जिससे गंगा में प्रदूषण बढ़ेगा, पर्यावरण संकट गहराएगा।
डॉ. सुनीलम ने कहा कि हमें दूसरी आशंका भी है कि वहां भाजपा हेडगेवार, गोलवलकर, दीनदयाल उपाध्याय और गोडसे का संग्रहालय स्थापित कर सकती है जैसा कि 16 करोड़ की लागत से बालाघाट जिले में 5 एकड़ जमीन लेकर किया जा रहा है ।
धरना कार्यक्रम में अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश महासचिव प्रहलाद दास वैरागी, उज्जैन संभाग के संयोजक इंद्रसेन निमोनकर, किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष एड आराधना भार्गव, तहसील अध्यक्ष कृपाल सिंह सिसोदिया, पूर्व सरपंच रामेश्वर परिहार, कृष्णा ठाकरे, परमंडल की उप सरपंच गीता बाई हारोड़े, जशोदा बाई, रामदयाल चौरे, हीरालाल कोड़ले, चैनसिंह सिसोदिया, दिनेश यदुवंशी, मुलचंद सोनी, अजाबराव बनखेडे़, बिरज चिकाने, मनोज चिकाने, सीताराम नरवरे, प्रेमचंद मालवीय, भूरेंद्र मकोड़े, कैलाश डोंगरदिए, गुलाब देशमुख, रग्घू कोड़ले, लखन सूर्यवंशी, तीरथ सिंह बलिहार, डखरू महाजन, विनोदी महाजन, भागवत परिहार, रतन परिहार, सुभाष परिहार शामिल रहे।
– भागवत परिहार