तालकटोरा स्टेडियम में किसानों व मजदूरों की साझा रैली आज

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23 अगस्त। दिल्ली में तालकटोरा स्टेडियम में किसानों और मजदूरों की साझा रैली आज सुबह दस बजे से शुरू होगी। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हो रही इस रैली को तमाम किसान संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। इसमें बहुत सारे किसान संगठनों के नेताओं और हजारों की तादाद में किसानों के भाग लेने की संभावना है।

इस रैली की एक खास बात यह है कि यह किसानों और मजदूरों की साझा रैली है। संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की आपसी बैठकों के बाद यह सहमति बनी थी कि उन्हें अपनी लड़ाई मिलकर लड़नी होगी। इसलिए इस रैली में ट्रेड यूनियनों के बैनर तले बड़ी तादाद में कामगार भी नजर आएंगे।

ट्रेड यूनियनों की मांग है कि चार लेबर कोड वापस लिया जाए। दशकों के संघर्ष के बाद मजदूर आंदोलन को जिन श्रम कानूनों को बनवाने में सफलता मिली थी उन श्रम कानूनों को ये चार लेबर कोड लाकर सरकार ने छीन लिया है। श्रमिक हितों पर यह अब तक का सबसे बड़ा हमला है।

वहीं संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बने। एमएसपी किसानों की सबसे दुखती रग है। दिल्ली की सीमाओं पर तेरह महीने चले लाखों किसानों के धरने के कारण सरकार को तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था। लेकिन एमएसपी की गारंटी का कानून और संपूर्ण कर्ज मुक्ति की मांग मनवाने की लड़ाई अभी बाकी है। किसानों की एक अन्य प्रमुख मांग यह भी है कि तीन काले कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन के दौरान जो मुकदमे किसानों पर थोपे गए थे, वापस लिये जाएं। इन मुकदमों को वापस लेने का सरकार ने लिखित वादा किया था, लेकिन अपने वादे से मुकर गयी। टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की किसानों की मांग भी नहीं मानी गयी।

मोदी सरकार यह कहते नहीं थकती थी कि तीनों कृषि कानून किसानों की भलाई के लिए बनाए गए हैं। लेकिन अब यह सच्चाई दुनिया के सामने खुलकर आ गयी है कि एक एनआरआई की सलाह पर, कृषि क्षेत्र को कारपोरेट के हवाले करने के लिए वे कानून बनाए गए थे। इससे जाहिर है कि मोदी सरकार किस तरह, और किनके लिए काम करती है।

चार लेबर कोड को लेकर भी सरकार यही कहती है कि ये मजदूरों के हित में बनाए गए हैं। लेकिन यह किसी से छिपा नहीं है कि चार लेबर कोड, पहले के श्रम कानूनों को खत्म करने के लिए, और पूंजीपतियों को खुश करने के लिए बनाए गए हैं।

तीनों काले कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के धरने के समय केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने खुलकर संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन किया था। लेकिन यह संभवतः यह पहला मौका है जब एक दूसरे के प्रति समर्थन जाहिर करने से आगे बढ़ कर, संयुक्त किसान मोर्चा और तमाम ट्रेड यूनियन साझा रैली कर रहे हैं। हो सकता है आने वाले दिनों में, रोजगार अधिकार की कानूनी गारंटी का अभियान चला रहे संयुक्त युवा मोर्चा जैसे समूह भी इस साझी लड़ाई में जुड़ जाएं।

तालकटोरा स्टेडियम की 24 अगस्त 2023 की रैली से आने वाले दिनों में आंदोलन के स्वरूप और कार्यक्रमों की दिशा तय होगी।

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