27 अगस्त। रविवार को दिल्ली देहात के किसानों की एक महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई जिसमें नजफगढ़ के आसपास के गाँवों के किसान प्रतिनिधि शामिल हुए और सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि एक महीने के अंदर दिल्ली के किसानों की जमीन के सर्किल रेट को लागू कराया जाए।
1 सितंबर से 15 सितंबर तक सभी गाँवों में इस मुद्दे को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा और उस ज्ञापन को 16 सितंबर को उपराज्यपाल के कार्यालय में जमा किया जाएगा, उसी तारीख से एक महीने का समय शुरू होगा।
अगर इस दौरान माननीय उपराज्यपाल द्वारा सर्किल रेट की फाइल को पास नहीं किया गया तो 15 अक्टूबर को दिल्ली के किसान प्रतिनिधि नजफगढ़ गौशाला नम्बर 1 दिल्ली गेट से पैदल चलकर उपराज्यपाल निवास में जाएंगे और अपने आंदोलन को तेज करेंगे।
इस बैठक का आयोजन जय किसान आंदोलन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष राजीव यादव ने किया और दिल्ली पंचायत संघ के अध्यक्ष थान सिंह यादव भी अपने समर्थकों के साथ शामिल हुए। यह बैठक जगत सिंह नीलवाल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में एक दर्जन से ज्यादा गाँवों के किसान शामिल हुए जिसमें झाड़ौदा गाँव के किसान इंद्रजीत डागर, दिचाऊं कलां गाँव के किसान ताराचंद शौकीन, बिजेंद्र शौकीन, साहिब सिंह नीलवाल, महावीर नेताजी, नीलवाल से ईश्वर, राजेन्द्र, बलवान, ईसापुर गाँव से कृष्ण डागर प्रधान, पप्रावत गाँव से ओमदत्त यादव, राजेश यादव, पंडवाला कलां से सुभाष यादव, कंगनहेड़ी गाँव से जगदीश यादव, मुंढेला कलां गाँव से कबूल सिंह खरब, जाफरपुर गाँव से रामनिवास यादव, हिरण कूदना गाँव से संजीव कुमार, घेवरा गाँव से रोहताश सिंह, जटराणा तिलंगपुर कोटला से बिजेंद्र सिंह कोटला, गौशाला के उपप्रधान नफे सिंह नम्बरदार, दीननपुर आदि सैकड़ों किसान शामिल हुए।
राजीव यादव ने सभा को सम्बोधित करते हुए बताया कि आजादी के 77 साल बाद भी दिल्ली देहात के किसानों की बेशकीमती जमीन को सरकार अधिग्रहण के नाम पर समय समय पर कौड़ियों के दाम पर लूट रही है जबकि दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ-साथ देश के चार बडे़ महानगरों में शुमार है और इन सभी कारणों से दिल्ली में जमीन लुप्तप्राय व दुर्लभ श्रेणी में आती है। इसलिए अन्य चार महानगरों की तुलना में दिल्ली में जमीन की कीमत कहीं अधिक होनी चाहिए लेकिन सरकार में बैठे लोगों की गलत नीयत और गलत नीतियों से दिल्ली में पड़ोसी राज्य हरियाणा की तुलना में आठ गुना कम है, मिसाल के तौर पर द्वारका एक्सप्रेस वे, जिसकी कुल लम्बाई लगभग 29 किलोमीटर है जिसका 22 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा की सीमा में आता है और बाकी का 6 से 7 किलोमीटर का हिस्सा दिल्ली में आता है। आश्चर्यजनक बात यह है कि दोनों ही जमीन का अधिग्रहण केंद्र की एजेंसी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने किया है और हरियाणा में उसी जमीन का 16 करोड़ प्रति एकड़ का मुआवजा मिला जबकि दिल्ली में उसी रोड की जमीन के लिए 2 करोड़ 12 लाख प्रति एकड़ का मुआवजा मिला जो दिल्ली के किसानों के साथ अन्याय है ।
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