30 अगस्त। ओड़िशा के जाने-माने पर्यावरणवादी कार्यकर्ता प्रफुल्ल सामंतरा को कल पुलिस ने रिहा कर दिया। उन्हें ओड़िशा पुलिस रायगढ़ा में होटल के उनके कमरे से जबरन उठा ले गयी थी। उन्हें बेरहरामपुर में रिहा किया गया। सामंतरा ने इसे ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’ करार दिया है।
गौरतलब है कि प्रफुल्ल सामंतरा रायगढ़ा में उनके निर्धारित प्रेस कॉन्फ्रेंस से ऐन पहले लापता हो गये थे और उनका मोबाइल फोन स्विच आफ था। इससे ओड़िशा के तमाम सामाजिक कार्यकर्ता परेशान थे। यहाँ तक कि मेधा पाटकर भी फोन पर फोन किये जा रही थीं लेकिन सामंतरा का कुछ पता नहीं चल पा रहा था।
दरअसल, हुआ यह था, जैसा कि सामंतरा की रिहाई के बाद जाहिर हुआ, कि बुधवार को सादे कपड़ों में आयी पुलिस, सामंतरा को रायगढ़ा में होटल के उनके कमरे से उठा ले गयी थी। उनके हाथ बांध दिये थे और एक तौलिये से उनका मुंह बंद कर दिया था।
सामंतरा ने बताया कि पहले उन्हें शक हुआ था कि रायगढ़ा में अवैध खनन में लिप्त कंपनी के गुंडों ने उनका अपहरण किया है, लेकिन बाद में होटल से पूछताछ करने पर पता चला कि वो लोग अपने को पुलिस बताकर होटल में घुसे थे।
सामंतरा रायगढ़ा गए थे, उन कार्यकर्ताओं से मिलने, जिन्हें पुलिस ने झूठे आरोपों में जेल में बंद कर दिया है। रायगढ़ा जाने का उनका मकसद नियमगिरि बचाओ आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर करना भी था।
लेकिन उनके निर्धारित प्रेस कॉन्फ्रेंस से कुछ ही देर पहले पुलिस ने उनका “अपहरण” कर लिया और ले जाकर बेहरामपुर छोड़ दिया। जाहिर है यह इसलिए किया गया ताकि अवैध बाक्साइट खनन तथा नियमगिरि बचाओ अभियान के कार्यकर्ताओं पर पुलिसिया दमन के बारे में सामंतरा मीडिया को न बता पाएं।
सामंतरा ने बताया कि उन्होंने एक एफआईआर की कॉपी रायगढ़ा के पुलिस अधीक्षक को स्पीड पोस्ट से भेजकर घटनाक्रम की जॉंच कराने की मांग की है।