ग्राम सभा के सशक्तीकरण के लिए शुरू हुई बक्सर से भागलपुर गंगातट यात्रा

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9 सितंबर। लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे ग्राम सभा की मजबूती के लिए नागरिक समन्वय यात्रा का बक्सर के चौसा प्रखंड स्थित महर्षि च्वयन ऋषि की तपोस्थली महादेवा घाट से गंगापूजन के साथ विधिवत शुभारंभ हुआ। यात्रा को जनता का भरपूर समर्थन देखने को मिला। काफी संख्या में ग्रामीणजनों ने इस मौके पर पहुंचकर यात्रा का स्वागत किया।

गंगापूजन के बाद तपोस्थली पर फैली हुई गंदगी पदयात्रियों ने श्रमदान से साफ की। यात्रा नागरिक समन्वय समिति के तत्वावधान में आयोजित की गयी है। समिति की संयोजिका कुमकुम राज ने बताया कि देश में सत्ता का विकेंद्रीकरण संविधान निर्माताओं का उद्देश्य था। आजादी के तुरंत बाद विभिन्न कारणों से इस लक्ष्य पर काम नहीं किया जा सका। 73वें संविधान संशोधन के रूप में कुछ नए प्रावधान लाकर पंचायती राज व्यस्था को सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया, परंतु राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के अधीन होने से राज्य सरकार इस विकेंद्रीकरण और पंचायत को ताकत देने के अधिकार को कभी भी स्वीकार करने को तैयार दिखी ही नहीं। कई येन केन वजह से तीसरी सरकार को दी गई शक्तियों को व्यावहारिक उपयोग में नहीं लाने दिया गया।

पंचायत को दिए गए 29 विषयों में ग्राम सभा की भूमिका को बहुत हद तक सीमित करके उसकी शक्तियों को कमजोर करने की कोशिश लंबे समय से होती आ रही है। विडम्बना है कि पंचायत प्रतिनिधि व ग्राम सभा अपने कानूनी अधिकार को लेकर अनभिज्ञ जान पड़ते हैं, जिसमें प्रतिनिधियों पर तो तंत्र का शिकंजा है परंतु ग्राम सभा की बेखबरी ज्यादा दुखद है। महात्मा गाँधी के सपनों के ग्राम स्वराज को जमीन पर ठोस रूप से सशक्त करके ही देश के दीर्घकालिक विकास के रास्ते पर ले जाया जा सकता है क्योंकि आज भी देश की 72 प्रतिशत और बिहार राज्य की 85 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में रहती है।

तमाम हथकंडे अपनाकर ग्राम सभा के निहित अधिकार को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। मौजूदा तंत्र से लोक को गौण कर बुनियादी ढांचे को हिलाया जा रहा है। यात्रा का उद्देश्य ग्राम सभा और उसके प्रतिनिधियों को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए है। यात्रा बक्सर जिले के सारे प्रखंडों से होते हुए भोजपुर जिले से पटना, लखीसराय, मुंगेर जिला होते हुए भागलपुर जिला में गंगातट पर समाप्त होगी।

महादेवा घाट से यात्रा की शुरुआत के समय बनारपुर पंचायत की मुखिया श्रीमती ममता देवी ने श्रीमती कुमकुम राज द्वारा शुरू की गई अभिनव पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस समय इस तरह की मुहिम की सख्त आवश्यकता है ताकि जनतंत्र में जन की आस्था को और मजबूत किया जा सके।महादेवा घाट के बाद यात्रा दूसरे पड़ाव चौसा के प्रसिद्ध शेरशाह हुमायूं के युद्ध स्थल के पास पहुंची। वहां मौजूद लोगों को ग्रामसभा की आवश्यकता के बारे में श्रीमती राज ने गहनता से समझाया और इसमें आनेवाले बाधाओं के बारे में जानकारी ली।उन्होंने इस ऐतिहासिक स्थल की बदहाली पर रोष व्यक्त करते हुए सरकार की मंशा पर सवाल भी उठाया। देश के इतिहास के एक सबसे निर्णायक युद्ध का गवाह रहा यह क्षेत्र आज बदहाली और घनघोर उपेक्षा का शिकार है।

यात्रा यहां से आगे चलकर चौसा पावर प्लांट कंपनी की मनमानी के खिलाफ 326 दिनों से अनवरत चल रहे किसानों के धरने पर पहुंचकर उनका पक्ष सुना और उन्हें अपना समर्थन देते हुए हर स्तर पर यथासंभव कंधा से कंधा मिलाकर साथ चलने का संकल्प दोहराया। किसानों ने कंपनी और प्रशासन के द्वारा किए जा रहे अन्याय के बारे में बताया। पदयात्रा आगे चलकर ग्राम पंचायत भवन बनारपुर पहुंची, जहां एक ग्राम सभा का आयोजन किया गया। मौजूदा लोगों को संबोधित करते हुए श्रीमती राज ने बताया कि ग्राम सभा की मजबूती कैसे समाज को सशक्त कर सकती है।

पदयात्रा में कार्यक्रम संयोजिका कुमकुम राज, मुखिया बनारपुर ममता देवी, आंदोलनकारी किसान अश्विनी चौबे, नरेंद्र तिवारी, तेतरी देवी, मिथिलेश निराला, रेशमा खातून, संजय जी, बृजेश राय, राजनारायण चौधरी, नंदलाल सिंह, सुदर्शन चौधरी, अनिल तिवारी, मेराज खान, आलोक तिवारी, शिवशंकर सिंह, मुसाफिर सिंह, राधेश्याम सिंह, ब्रह्मेश्वर सिंह की सहभागिता रही।

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