हरित क्रांति के जनक व किसानों के लिए लागत से डेढ़ गुना दाम की सिफारिश करनेवाले एमएस स्वामीनाथन नहीं रहे

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स्मृतिशेष : मनकोम्बु संबासिवन स्वामिनाथन (7 अगस्त 1928 -28 सितंबर 2023)

28 सितंबर। मशहूर कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन नहीं रहे। भारत में वह हरित क्रांति के जनक माने गए। लेकिन वह इस सिफारिश के लिए भी याद किये जाते रहेंगे कि किसानों को उपज की लागत से डेढ़ गुना दाम मिलना चाहिए।

यह एमएस स्वामीनाथन ही थे जिनकी अध्यक्षता में नवंबर 2004 में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग ने यह सिफारिश की थी कि किसानों को उनकी पैदावार की पूरी लागत से डेढ़ गुना दाम (C 2 +50%) मिलना चाहिए। आयोग ने पहली रिपोर्ट गठित होने के एक महीने बाद यानी दिसंबर 2004 में और पांचवीं व अंतिम रिपोर्ट अक्टूबर 2006 में दी थी।

किसानों के लिए एमएसपी की लड़ाई में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश तर्क व शक्ति-स्रोत का काम करती रही है। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की दुहाई देने में कोई पार्टी पीछे नहीं रहती, लेकिन विडंबना यह है कि आयोग की अंतिम रिपोर्ट आने के सत्रह साल बाद भी किसानों के लिए एमएसपी सपना है।

स्वामीनाथन कृषि वैज्ञानिक के रूप में दुनिया भर में जाने गए। वह पादप आनुवंशिकी विज्ञानी थे। वह चेन्नई स्थित एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष और मार्गदर्शक थे। उन्हें विश्व खाद्य पुरस्कार, मैग्सेसे पुरस्कार और पद्म विभूषण समेत कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया। वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे।

7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंबकोणम में एमके संबविसन और पावर्ती थंगम्मल के घर जनमे एमएस स्वामीनाथन ने खाद्य सुरक्षा के लिए देश और दुनिया में जहां राजनीतिक नेतृत्व के साथ मिलकर काम किया, वहीं प्रसिद्ध अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक और 1970 के नोबेल पुरस्कार विजेता नॉर्मन बोरलॉग सहित अंतरराष्ट्रीय ख्याति के कई कृषि वैज्ञानिकों के साथ भी उन्होंने अध्ययन और अनुसंधान में साझेदारी की।

रासायनिक खादों और कीटनाशकों के ज्यादा इस्तेमाल, पानी की ज्यादा खपत और जमीन की उर्वरा शक्ति के क्षरण के कारण हरित क्रांति पर सवाल भी उठते रहे हैं। इन सवालों ने स्वामीनाथन को भी मथा होगा। शायद यही वजह है कि हरित क्रांति का यह जनक टिकाऊ कृषि और सतत कृषि की बात करने लगा।

गुरुवार 28 सितंबर को सुबह सवा 11 बजे स्वामीनाथन ने अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह 98 वर्ष के थे। श्रद्धांजलि।


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