लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान का दूसरा सम्मेलन सामूहिकता की एक नयी उम्मीद जगा गया है। सत्यशोधकों और असत्यप्रचारकों, समाजवादियों और साम्प्रदायिक फासीवादियों दोनों के गढ़ पुणे में पिछले दिनों लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान का तीन दिवसीय सम्मेलन हुआ। यह सम्मेलन अधिकांश सहभागियों को सफलता का सुखद अहसास देते हुए सम्पन्न हुआ। प्रथम सत्र में संगठन के एक साल की रपट प्रस्तुति और स्वागत वक्तव्य के बाद सत्यशोधक एवं रचनात्मक समाजवादी 95 वर्षीय बाबा का उद्घाटन उद्बोधन हुआ।
इसके पहले सौवें वर्ष में प्रवेश कर चुके समाजवादी रचनाकर्मी जी जी पारीख का आनन्द कुमार के नाम संदेश पढ़ा गया। इस सत्र में असंगठित श्रमिकों के बीच पांच दशकों से कार्यरत सुभाष लोमटे, जनतंत्र समाज के अध्यक्ष एस आर हीरेमठ, स्मारिका संपादक मंडल के दीपक धोलकिया का संबोधन हुआ। स्वागत वक्तव्य लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के संयोजक आनन्द कुमार ने दिया।
यह सम्मेलन लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान का दूसरा सम्मेलन था। सम्मेलन साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद की चुनौती; स्त्री, दलित, आदिवासी और अन्य शोषणग्रस्त समुदायों की दावेदारी के प्रश्न; पर्यावरण, आजीविका एवं रोजगार; चुनाव और राजनीतिक सुधार जैसे विषयों पर केन्द्रित रहा। मनीषा गुप्ते, दया सिंह, भारत पाटणकर , श्रुति तांबे, रवि चोपड़ा, आशीष कोठारी, अरुण कुमार (ऑनलाइन), जगदीप छोकर, प्रशांत भूषण (ऑनलाइन) आदि ने विशेष व्याख्यान दिया।
विषयों पर विशेष चर्चा के बाद विविध सहमना समूहों के बीच सहकार के व्यावहारिक प्रश्न पर एक विशेष सत्र चला। इसमें एद्देलु कर्नाटक के सलमान, खुदाई खिदमतगार के फैसले खान, सर्व सेवा संघ के अरविन्द अंजुम, आईकैन के अरविन्द मूर्ति, झारखंड के वरिष्ठ भूमि आंदोलनकारी कुमार चन्द्र मार्डी और लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के आनंद कुमार ने अपनी बातें रखीं।
महाराष्ट्र चुनाव पर केन्द्रित सत्र में सुभाष लोमटे, सुभाष वारे, कोलसे पाटिल, उल्का महाजन, नितिन वैद्य ,योगेन्द्र यादव (ऑनलाइन), तुषार गांधी ने अपने विचार रखे। आनंद कुमार ने हास्य से भरा गंभीर वैचारिक विश्लेषण रखा।
इस सम्मेलन से भावी कार्यक्रमों की एक विस्तृत रूपरेखा तैयार हुई। तीन माह के अंदर वैचारिक भिन्नता वाले मसलों पर एक सहचिंतन होगा। तीन चार माह के अंदर शांतिनिकेतन में एक महिला सम्मेलन किया जाएगा। विविध सहमना समूहों और व्यक्तियों के बीच सहकार की अंतरंगता बढ़ाने के लिए नियतकालिक ऑनलाइन संवाद की कोशिश होगी। छह माह के अंदर इन समूहों के नेतृत्वकारी साथियों की प्रत्यक्ष बैठक बुलाई जाएगी। एक युवा समावेश करना है।
सम्मेलन में प्रस्तुत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति विश्लेषण में मणिपुर, लद्दाख, कश्मीर पर जारी औपनिवेशिक और शत्रुतापूर्ण बर्ताव और वहां की जनता पर साम्प्रदायिक आक्रमण का स्पष्ट विरोध व्यक्त हुआ। दुनिया के विविध देशों खासकर फिलीस्तीनी जनता पर इजरायल द्वारा किए जा रहे जनसंहार तथा युक्रेन पर रुसी आक्रमण की निंदा की गयी। समाज के वंचित शोषित तबकों पर हो रहे अत्याचार के प्रकरणों पर तत्काल प्रतिवाद दर्ज करने , आहत पक्ष से मिलने और उनके साथ संवेदनशील एकजुटता व्यक्त करने के लिए एक विशेष टीम बनी। एक साहित्यिक सांस्कृतिक टीम भी बनी।
अंत में नवनिर्वाचित पदाधिकारियों के नेतृत्व में पूरे सम्मेलन की सहभागियों ने सफलता और असफलता आंकी। और एक सूत्रसंकल्प के साथ सम्मेलन समाप्त हुआ। विषमता मुक्त, पराधीनता मुक्त, अन्याय मुक्त, आक्रमण मुक्त, मैत्रीपूर्ण अहिंसक समाज बनाने के लिए लोकतांत्रिक व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण और राष्ट्रनिर्माण की सहयात्रा पर तमाम सहमना समूहों और व्यक्तियों के साथ साझा करते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहने का संकल्प।