पराली की आड़ में किसानों का तिरस्कार कर रही है हरियाणा सरकार

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किसान संघर्ष समिति की 323वीं किसान पंचायत किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम की अध्यक्षता में संपन्न हुई। किसान पंचायत में देश के विभिन्न किसान संगठनों के किसान नेता शामिल हुए।किसान पंचायत को संबोधित करते हुए डॉ सुनीलम ने कहा कि राजनीतिक दल किसानों को गारंटियों में उलझा कर रखना चाहते हैं, इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा संपूर्ण कर्जा मुक्ति तथा एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी चाहता है।

उन्होंने कहा कि यदि महाराष्ट्र और झारखंड में किसानों ने खुलकर इंडिया गठबंधन का साथ नहीं दिया तो यह तय है कि तीन किसान विरोधी कानून वापस लाए जाएंगे, किसानों की जमीन छीनकर अडानी अंबानी को सौंपने की साजिश को अंजाम दिया जाएगा। इसलिए यह जरूरी है कि किसान भाजपा के खिलाफ मतदान करें।

अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व सांसद हन्नान मोल्ला ने कहा कि 26 नवंबर को एस के एम अपनी लड़ाई के नवीनीकरण के दिन के रूप में मनाएगा। सीटीयू के तहत सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन आंदोलनों में शामिल होंगे। कृषि श्रमिक संघ भी शामिल होंगे। यह किसानों, श्रमिकों और कृषि श्रमिकों द्वारा देश विरोधी कॉर्पोरेट समर्थक सांप्रदायिक मोदी सरकार के खिलाफ एक संयुक्त संघर्ष होगा।

उन्होंने सभी लोकतांत्रिक विचारधारा वाले लोगों से इस संघर्ष में शामिल होने की अपील की। हरियाणा से अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष काम. इंद्रजीतसिंह ने कहा कि हरियाणा में भाजपा ने तीसरी बार सत्ता में आने के बाद किसानों व कृषि पर चौतरफा हमला बोल दिया है। धान की बिक्री और उठान जान बूझकर देरी से किया जा रहा है। डी ए पी खाद की भयंकर कमी से बुवाई पिछड़ रही है। पुलिस थानों में खाद बिक रहा है। खाद न मिलने पर एक युवा किसान रामभगत ने पिछले सप्ताह खुदकुशी कर ली थी। पराली प्रबंधन का कोई विकल्प नहीं और सरकार ने जुर्माना की दर दोगुनी कर दी है। मुकदमें भी दर्ज हो रहे हैं। किसानों के खेतों में से जबरदस्ती बिजली की हाई टेंशन लाइन और तेल पाइपलाइन बिछाई जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि इन सभी मुद्दों को लेकर लोगों में आक्रोश है और 25 नवंबर को हरियाणा में भारी विरोध प्रदर्शन होंगे। राजस्थान से किसान संघर्ष समन्वय समिति के गुरप्रीत सिंह संघा ने कहा कि राजस्थान में सरकार ने अपने वायदे के मुताबिक धान की MSP पर ख़रीद शुरू नहीं की है। सरकार ने बाजरा पर ख़रीद, अनाउंस करके फाइनली आधिकारिक तौर पर मना कर दिया । मूँग की MSP ख़रीद सिर्फ़ काग़ज़ों पर है। सिर्फ़ पोर्टल पर लटक रहे हैं।

उड़ीसा से पश्चिम उड़ीसा कृषक संगठन समन्वय समिति के अशोक प्रधान ने कहा कि सरकार ने 3100 रूपये प्रति क्विंटल पर धान खरीद का वादा किया था लेकिन अभी तक धान की खरीद शुरू नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि कार्पोरेट की नजर उड़ीसा के प्राकृतिक संसाधनों पर है। किसानों की भूमि अधिग्रहीत करने के लिए कार्पोरेट सरकार की मदद ले रही है।

संयुक्त किसान मोर्चा रीवा के संभागीय संयोजक एड शिवसिंह ने कहा कि प्रदेश में डीएपी खाद का संकट है। किसानों को जबरदस्ती नैनो खाद दिया जा रहा है जो कि फसलों के लिए उपयुक्त नहीं है। आवारा पशुओं से किसान परेशान है लेकिन आवारा पशुओं का प्रबंधन करने में सरकार लाचार है। उन्होंने इलाहाबाद में बेरोजगारों पर हुए लाठी चार्ज की निंदा करते हुए कहा कि देश के नागरिक बटेंगे नहीं टूटेंगे नहीं ।

किसान संघर्ष समिति की प्रदेश उपाध्यक्ष एड आराधना भार्गव ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे किसान आंदोलन ने मोदी को किसान विरोधी काले कानून वापस लेने पर मजबूर कर दिया था। उन्हें देश के सामने माफी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने एसकेएम के साथ अन्य समस्याओं पर चर्चा करने का वादा किया था लेकिन उन्होंने धोखा दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार पुलिस के बल पर किसानों की भूमि का अधिग्रहण कर रही है।

गुजरात से किसान नेता भरतसिंह झाला ने कहा कि मोदीजी द्वारा पूरे देश भर गुजरात मॉडल दिखाया जाता है लेकिन गुजरात मॉडल ढोल की पोल जैसा है। गुजरात में अतिवृष्टि से 33% क्षेत्र की फसल नष्ट हो गई है। जिसका 11,000 रू प्रति हेक्टेयर मुआवजा की घोषणा की है। जिसमें किसान की मजदूरी भी नहीं निकल रही है । उचित मुआवजा के लिए बड़े-बड़े आंदोलन किए गए लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है। व्यापारी किसानों को खुलेआम लूट कर रहे हैं, जिस पर अंकुश लगाने में सरकार नाकाम रही है।

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